टोंक में मंगल आगमन
रमता योगी, बहता पानी की सूक्ति को चरितार्थ करते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज तिजारा क्षेत्र से वर्षायोग के पश्चात विहार करते हुए पहाड़ी, बसवा अतिशय क्षेत्र, दौसा, जयपुर, पदमपुरा क्षेत्र से निवाई आए। वहां से विहार करते हुए आचार्य श्री जैसे ही टोंक की ओर बढ़े, टोंक वालों का उत्साह है द्विगुणित हो गया। साथ में पैदल चलते हुए जय जयकार के नारे लगाते हुए आगे बढ़ रहे थे।दिनांक 18 जनवरी 2020 को प्रातः काल टोंक निवासियों ने आचार्य संघ की भव्य अगवानी बैंड बाजे एवं जय जयकार की ध्वनि के साथ नसिया जी मंदिर तक की। श्री जी के दर्शन कर विशाल जुलूस धर्म सभा रूप में परिवर्तित हुआ।
मंगलाचरण पूर्वक धर्म सभा का शुभारंभ हुआ। ब्र. अनीता दीदी ने आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के व्यक्तित्व की चर्चा करते हुए पूज्य श्री के संदेश को ज्ञात कराते हुए सभी को संस्कारित होने हेतु कहा। तदनंतर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि विषय भोगों को भोगते-भोगते अनंत काल हो गया है, ये विषय भोग आपको प्रारंभ में भले ही अच्छे लगते हैं पर अंततः वह दुखदायी होते हैं, जीवन का पतन कराते हैं, विषय भोगों से जिनका जीवन ऊपर उठ जाता है वही आत्मा से परमात्मा बन जाते हैं।
मंदिर में आप आते हैं क्यों? क्या कभी आपने चिंतन किया, नहीं। आप तो आकर चले जाते हैं पर क्यों आते हैं इसकी ओर ध्यान नहीं देते, यह मंदिर घरों को स्वर्ग बनाने में एवं हैवान को इंसान और इंसान को भगवान बनाने में माध्यम बनते हैं। मंदिर में आकर जो पढ़ते हो वह आचरण में लाओ तभी जीवन का विकास होगा। यह मंदिर जलाशय के समान है जो अंदर की गंदगी को साफ सुथरा करते हैं। यह मंदिर हॉस्पिटल के समान है जो आत्मा को स्वस्थ बनाते हैं। इन मंदिरों से स्वयं जुड़े, अपने बच्चों को भी मंदिर से, गुरु से, मां जिनवाणी से जोड़ो।मंदिर आत्मशांति के केंद्र हैं। सम्यगदर्शन की प्राप्ति में माध्यम बनते हैं, सम्यगदर्शन की सरल व्याख्या कर सभी को एक सूत्र में बंधने हेतु प्रेरित किया। अन्त में आचार्य श्री ने कहा कि पहले भी में टोंक आया था उस समय भी आप सभी का उत्साह था, पुनः आज आया, आज भी आप सभी का उत्साह देख रहा हूं, ऐसा उत्साह बना रहे यही शुभ भावना है।
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