टोंक जिला कारागृह में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज का प्रवचन
दिनांक 18 जनवरी 2020 टोंक जिला कारागृह में कई सैकड़ों कैदियों को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि जिसकी जैसी भावना होती है उसके जीवन का नक्शा वैसा ही बन जाता है।
सुखी रहे सब जीव जगत के, कोई कभी ना घबरावे।
बैर पाप अभिमान छोड़ कर, नित्य नए मंगल गावे।।
संसार के सभी जीव सुखी रहे, स्वस्थ रहे, ऐसी भावना सभी को भाना चाहिए, आप सभी अभी भी संभल सकते हैं जिससे जो भी अपराध हुआ है उसे छोड़ने का संकल्प लें, आप सभी किए हुए अपराध के प्रति पश्चाताप करें, आगे न करने का संकल्प लें, तो अभी भी आप शेष जीवन को अच्छा बना सकते हैं। लोक की अदालत में भले ही आप पैसों के बल पर जीत जाएं पर पर प्रभु की अदालत में पाई-पाई का हिसाब होता है। जो जैसी करनी करता है उसको वैसा ही फल मिलता है, अगर आप चाहते हैं हमारा जीवन सुख शांति के साथ व्यतीत हो तो ईमानदारी, न्याय-नीति, प्रमाणिकता, करुणा, दया-प्रेम, वात्सल्य का भाव जरूरी है।
प्रभु के कैमरे में सब कुछ आ जाता है, चाहे कोई कितना भी छिपकरके पाप करें। कैसे मनाते होंगे आपके घर के व्यक्ति पर्व-त्योहार को, अभी-अभी हिदुओं का संक्राति पर्व निकला है क्या आप के मां-पिता, बहिन-भाई,पत्नी, बेटा-बेटियों को लड्डू खाना अच्छा लगता होगा, रक्षाबंधन पर्व पर कैसा लगता होगा उस बहिन को जिसका एक भाई हो, वह कैसा अनुभव करती होगी। क्या उस दिन वह बहिन दुखी नहीं होती होगी, मां-पिता के कितने अरमान होते हैं, उन अरमानों पर आपने पानी फेर दिया। अरे! पेट के लिए दो रोटी चाहिए फिर क्यों इतने पाप, अन्याय, अत्याचार, छल-कपट, लूट-खसोट करते हो, पापों का फल जहां आप इस भव में जेल में जाकर भोगते हो आगे भी दुर्गतियों में जाकर उन कर्मों का फल भोगना पड़ता है, अतः जो भी हुआ उसका प्रायश्चित लें, पश्चाताप करें और आगे ऐसे कार्य नहीं करेंगे ऐसी सोच बनाए।
‘जब जागो, तभी सवेरा’ अभी भी जाग जाओ और अच्छी सोच के द्वारा अपने भविष्य को अच्छा बनाए, प्रभु का भजन, संतों का समागम, सत्साहित्य का पठन-पाठन करें, बुराइयों से दूर रहें। इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि प्रकृति ने आपको शाकाहारी बनाकर भेजा है, मांसाहारी नहीं। ‘संडे ही या मंडे कभी ना खाना अंडे’ अंडा भी एक मां का लाल है। आप अगर किसी को जीवन नहीं दे सकते तो किसी का जीवन मत छीनो।
मत सता जालिम किसी को, मत किसी की हाय लो।
औरों को अगर तू सताएगा, तो खुद सताया जाएगा।।
जितने भी नशीले पदार्थ हैं सभी विनाश की कगार पर ले जाते हैं, आज अनेक बीमारियां बड़ी तेजी से व्यक्तियों को जकड़ रही है, कैंसर, हार्ट-अटैक, शुगर, बी.पी. आदि जिनका नाम सुनते ही आप भयभीत होते हैं। अपने जीवन को शाकाहारी बनाए, व्यसन मुक्त जीवन जीए। प्रभु का भजन करें, सत्साहित्य का पठन-पाठन करें। अपने मां-पिता को सम्मान दें, अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें, ताकि उन बच्चों का भविष्य अच्छा बन सके। जब तक जेल में है सभी के साथ अच्छा व्यवहार करें, जेलर साहब के प्रति सम्मान का भाव रखें। अन्त में आचार्य श्री ने दिगंबरत्व की चर्चा की।
जिला कारागृह (जेल) में आचार्य श्री के पाद-प्रक्षालन जेल के मुख्य दरवाजे पर श्री सत्यनारायण शर्मा आदि ने किया। जिला प्रांगण में धर्म सभा का शुभारंभ कैदी बंधु के मंगलाचरण से हुआ। मंच संचालन- विकास जी अत्तार ने किया। जेलर साहब श्री सत्यनारायण शर्मा, श्री निर्मल कुमार (सहायक लेखा अधिकारी), श्री मोहन जी मीणा (डिप्टी जेलर) आदि ने पूज्य श्री के श्रीचरणो में श्री फल समर्पित किए।
ब्र. अनीता दीदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आप जैसा चाहे वैसा अपना जीवन बना सकते हैं, आपने बुरे कार्य किए हैं, ऐसे अपराध किए हैं जिस कारण आप अपने परिवार से दूर रहकर आज जेल में है। जीवन में अच्छे कार्य करने का संकल्प लें। अब तक आचार्य श्री 92 जेलों में जाकर प्रवचन कर चुके हैं, हम लोगों ने देखा है जब आचार्य श्री का प्रवचन कैदी बंधुओं के बीच होता है तब अनेक कैदी बंधुओं की आंखों में आंसू आ जाते हैं, और अंत में गुरुचरणों में आकर अपने जीवन की बुराइयों को दूर करने का संकल्प लेते हैं।
ये वो संत है, जिनका जैसा नाम है, वैसा ही काम है। ये ज्ञान के सागर है, अपनी जीवन रूपी मैली चादर को साफ-सुथरा करें। तभी इन संतों का यहां आना सफल/सार्थक होगा। साथ ही दिगंबर साधु की चर्या बतायी। रमेश निवाई ,छोटू जिलाई ग्राम, दिनेश आवा आदि पूज्य श्री के प्रवचनों से प्रभावित होकर अनेक कैदी बंधुओं ने अंडे, मांस, मछली एवं नशीले पदार्थों का त्याग किया। त्याग करने वाले कैदियों को सत्साहित्य प्रदान किया गया। जेलर साहब आदि को सम्मानित किया गया।
जेलर साहब श्री सत्यनारायण शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि आज हम सभी धन्य हो गए पूज्य श्री के आने पर। आचार्य श्री ने हम सभी को जो अच्छी शिक्षा दी है, उसका आचरण करेंगे। आपने सभी कैदी बंधुओं को जो दिशा दी है, प्रेरणा दी है, मुझे कैदी बंधुओं से अपेक्षा है कि आप सभी आज से ही संकल्प ले की हम आज से अपने जीवन में आवेश में आकर कोई गलत कार्य नहीं करेंगे। आचार्य श्री का आज 93वीं जेल में मंगल प्रवचन हुआ। जिन-जिन जेलों में प्रवचन होता है वहां पर घर, परिवार जैसा वातावरण जेल का लगता है। अधिकांश सभी कैदी बंधुओं की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
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