तीर्थंकर महावीर
भगवान महावीर की माता का नाम त्रिशला, पिता का नाम राजा सिद्धार्थ था| भगवान महावीर अच्युत स्वर्ग के पुष्पोत्तर विमान से माता के गर्भ में आए। बालक महावीर का जन्म कुण्डग्राम (वैशाली) विहार में हुआ था।महावीर भगवन का चिन्ह सिंह है । महावीर का वंश- नाथ एवं गोत्र – काश्यप था। महावीर भगवान की आयु बहत्तर वर्ष, शरीर की ऊंचई सात हाथ, शरीर का रंग स्वर्णवर्ण था । तीर्थंकर महावीर को सम्यग्दर्शन सिंह की पर्याय में हुआ था। उसके दस भव बाद तीर्थंकर बने |
राजकुमार महावीर को वैराग्य जातिस्मरण के कारण हुआ। राजकुमार महावीर चन्द्रप्रभा पालकी में बैठकर कुण्डलपुर के वन-षण्डवन में दीक्षा लेने गए एवं शालवृक्ष के नीचे दीक्षा ली| मुनि महावीर को प्रथम आहार कूलग्राम के राजा कूल ने दूध की खीर का दिया ।
मुनि महावीर को केवलज्ञान षण्डवन/मनोहर वन (ऋजुकूला नदी) एवं शाल वृक्ष के नीचे हुआ | महावीर भगवान का समोशरण का विस्तार एक योजन था । तीर्थंकर महावीर के समवसरण में 1 लाख श्रावक और 3 लाख श्राविकाएँ थीं। तीर्थंकर महावीर के 11 गणधर (मुख्य गौतम), गणिनी चंदना, श्रोता राजा श्रेणिक थे। तीर्थंकर महावीर के समवसरण में राजा श्रेणिक ने 60 हजार प्रश्न किए थे। पूर्व में किये गए पाप करने के कारण तथा आयु बंध जाने से राजा श्रेणिक नरक गए । लेकिन क्षायिक समयकदर्शन से अपनी नरक की आयु कम की और सोलह कारण भावना भाकर तीर्थंकर प्रकृति का बंध किया। आने वाली चौबीसी के महापद्म नाम के पहले तीर्थंकर होंगे ।
तीर्थंकर महावीर की देशना 66 दिन तक नहीं खिरी क्योंकि गणधर का अभाव था। तीर्थंकर महावीर का प्रथम समवसरण विपुलाचल पर्वत पर लगा था। तीर्थंकर महावीर की देशना श्रावण कृष्ण प्रतिपदा, शनिवार 1 जुलाई, ई.पू. 557 में खिरी थी। इस दिन को वीर शासन जयंती के रूप में मनाते हैं । महावीर भगवान का केवली काल तीस वर्ष का था | तीर्थंकर महावीर का तीर्थप्रवर्तन काल 21 हजार 42 वर्षों का है। तीर्थंकर महावीर ने योग निरोध करने के लिए दो दिन पहले समवसरण छोड़ा और पावापुरी से खड्गासन मुद्रा में मोक्ष को प्राप्त किया ।
तीर्थंकर महावीर के पाँच कल्याणक
- गर्भकल्याणक – आषाढ़ शुक्ल षष्ठी, शुक्रवार, 17 जून, ई.पू. 599 में।
- जन्मकल्याणक – चैत्र शुक्ल त्रयोदशी, सोमवार, 27 मार्च, ई.पू. 598 में।
- दीक्षाकल्याणक – मगसिर कृष्ण दशमी, सोमवार, 29 दिसम्बर, ई.पू.569 में।
- ज्ञानकल्याणक – वैशाख शुक्ल दशमी, रविवार, 23 अप्रैल, ई.पू.557 में।
- मोक्षकल्याणक – कार्तिककृष्ण अमावस्या, मङ्गलवार 15 अक्टूबर ई.पू. 527 में विक्रम सं.पूर्व 470 एवं शक पूर्व 605 में । (तीर्थ महा.और उनकी आचार्य परम्परा, भाग-1)