सत्साहित्य को बड़े विनय के साथ पढ़े
श्री दिगंबर जैन क्षेत्रपाल मंदिर ललितपुर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि जैन दर्शन के रहस्य को समझने के लिए सत्साहित्य को पढ़ना बहुत जरूरी है। आगम ग्रंथों को चार भागों में विभक्त किया गया है प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग द्रव्यानुयोग। प्रथमानुयोग में महापुरुषों के जीवन चरित्र का वर्णन किया गया है। करणानुयोग में अलौकिक गणित एवं भावों के उतार-चढ़ाव की चर्चा की गई है। चरणानुयोग में श्रावकों और श्रमणों के आचरण की चर्चा की गई है। द्रव्यानुयोग में शुद्ध बुद्ध आत्मतत्व की चर्चा की गई है।
मां जिनवाणी का स्वाध्याय करते समय विनय रखनी चाहिए। पुस्तकों को कभी भी उल्टा नहीं रखना चाहिए। पुस्तकों को बहुत अधिक नहीं खोलना चाहिए। पुस्तकों में अश्लील फोटो, अश्लील पत्र, पैसे आदि नहीं रखना चाहिए। थूक लगाकर पेज नहीं पलटना चाहिए। पुस्तकों को बहुत अधिक नहीं खोलना चाहिए। उसके पृष्ठ नहीं मोड़ना चाहिए। पुस्तक को पैरों पर रखकर नहीं पढ़ना चाहिए। पुस्तकों को पैर फैलाकर नहीं पढ़ना चाहिए। पुस्तकों की तरफ पैर फैला कर नहीं बैठना चाहिए। स्वाध्याय करने से पूर्व नौ बार णमोकार मंत्र पढ़कर मंगलाचरण करना चाहिए। स्वाध्याय करने के पश्चात भी नौ बार णमोकार मंत्र पढ़कर मां जिनवाणी को विनयपूर्वक रखना चाहिए। जो व्यक्ति जितना अधिक विनय के साथ स्वाध्याय करता है वह उतना ही अधिक अपने जीवन में ज्ञान का विकास करता है। इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि पहले महिलाएं स्वाध्याय करती थी पर आज वह किटी पार्टी आदि में जाकर स्वाध्याय की परंपरा को लुप्त करती जा रही हैं। फलस्वरुप धार्मिक ज्ञान कम होता जा रहा है।
छात्र छात्राओं के उज्जवल भविष्य के लिए काउंसलिंग कल होने जा रही है काउंसलर बहुत सरल भाषा में वैज्ञानिक तथ्यों के साथ जब चर्चा करते हैं तो बच्चों के मानस पटल पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। जहां बच्चों को दिशाबोध मिलेगा वहीं पर मां-पिता को भी अनेक तरह की जानकारी मिलेगी।
प्रवचन के पश्चात श्री सुरेंद्र मोहन जी ने एडवोकेट ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य श्री बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी संत हैं पूज्य श्री की व्यापक सोच आज के समय में बहुत कामयाबी है। उनका अक्षत चिंतन ही बुद्धिजीवी वर्ग को एक सूत्र में बांधकर नए मापदंड स्थापित करता है। आज बुद्धिजीवी वर्ग को एक मंच पर लाने का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वह संत हैं आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज। हम सभी वकील एवं अनेक जज एक साथ आकर आचार्य श्री से दिशाबोध प्राप्त कर अपने-अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। साथ ही एडवोकेट सम्मेलन की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
प्रवचन से पूर्व धर्म सभा का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ दिनांक 15 मई 2018 को प्रातः 10:00 बजे श्री रितेश जी काउंसलर द्वारा काउंसलिंग होगी ऐसी जानकारी दी।