रात्रि भोजन त्याग
जीव रक्षा व स्वास्थ्य हेतु रात्रि भोजन का निषेध आवश्यक है।
दिन में सूर्य की किरणें रहने तक वातावरण में सूक्ष्म जीवों की उत्पत्ति नहीं होती। रात्रि भोजन से न केवल मांस खाने के समान पाप लगता है बल्कि पाचन क्रिया भी खराब हो जाती है, जिससे अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं। जितना संभव हो सूर्य के प्रकाश में ही खाना खाने का प्रयास करें, यदि किसी दिन सूर्योदय के समय पूर्ण रोशनी न हो तो लाइट जलाकर खाने में कोई समस्या नहीं। जब तक सूर्य उदय है, तब तक उसका प्रभाव रहेगा ही।
आयुर्वेद के अनुसार सूर्य के निकलने की दशा में पेट में पाचन तंत्र उसी प्रकार खुला रहता है जैसे सूर्य के उदय होते ही कमल का फूल खिल जाता है और सूर्य के अस्त होते ही वो पाचन तंत्र बंद हो जाता है। जिसकी कमी से खाने का पाचन ठीक नहीं हो सकता।
सूर्य के छिपने के बाद भले ही कितनी भी ट्यूब या बल्ब जलाए जाएं वो फिर से कमल को नहीं खिला सकते, उसी प्रकार पाचन तंत्र भी दोबारा बिना सूर्य उदय हुए खुल नहीं सकता।
Namostu namostu namostu gurudev
Jai ho Gurudev ki