अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें
श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर ललितपुर में प्रातः काल धर्म सभा को संबोधित करते हुए *आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराजने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि जहां जहां मैं जाता हूं वहां पर सभी मंदिरों के अध्यक्ष मंत्रियों का सम्मेलन कराता हूं। उसका एक ही उद्देश्य रहता है कि जो भी अध्यक्ष मंत्री हैं वह अपने अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहें। मंदिरों में कहां क्या कमियां हैं इस ओर ध्यान दें। आखिर मंदिरों में चोरी क्यों होती है कहीं ना कहीं समाज की असावधानी का यह परिणाम है? अगर असावधानी है तो उस पर ध्यान दें ताकि मंदिरों में होने वाली चोरी से बचा जा सके।
इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि आज आपके बच्चे बेंगलुरु, मुंबई, पुणे, दिल्ली, गुड़गांव आदि जगह जाकर पढ़ते हैं। जहां जाकर उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनके रहने की उनके भोजन की समस्याएं रहती हैं। जिस कारण छात्र अपने नियमों का पालन नहीं कर पाते, ऐसी स्थिति में समाज का कर्तव्य है कि वह ऐसे छात्रों की व्यवस्था में सहयोग प्रदान करें। *पर्युषण पर्व आदि के दिनों में उनको शुद्ध भोजन मिल सके इसकी व्यवस्था अगर समाज करें तो वह छात्र अपने नियमों का पालन कर सकेंगे।
आपकी जिम्मेदारी है कि जिस समाज में आप रहते हैं उस समाज में रहने वाले उन व्यक्तियों की ओर ध्यान अवश्य देना चाहिए जो परेशान हो। जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, उन्हें गुप्त रूप से सहयोग करें। यह भी धर्मात्मा के लक्षण हैं, मात्र पूजा पाठ करने वाला ही धर्मात्मा नहीं है। सामाजिक स्थितियां अलग-अलग हैं, उनके प्रति भी आपके कुछ कर्तव्य हैं इस ओर आपका ध्यान जरूरी है।
अंत में आचार्य श्री ने कहा कि दीन दुखियों के प्रति जिनके अंदर करुणा भाव रहता है वह धर्मात्मा है। छोटों को देखकर जो जीते हैं वह सुखी रहते हैं बड़ों को देखकर मत जियो। तुम्हारे पास जितना है उसमें संतुष्ट रहो।
देख दूसरों की बढती को कभी नहीं ईर्ष्या भाव धरुंयही धर्म का सार है।