जीवन के हर क्षेत्र में समर्पण जरूरी है
आज दिनांक 13-04-2018 को ललितपुर क्षेत्रपाल जैन मंदिर में *सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञानसागर* जी ने प्रातः काल धर्मसभा को अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा की जीवन के हर क्षेत्र में समर्पण जरूरी है जब तक पत्नी पति के प्रति समर्पित रहती है, पति पत्नी के प्रति समर्पित रहता है, शिष्य गुरु के प्रति समर्पित रहता है, नौकर मालिक के प्रति समर्पित रहते हैं, तब तक वह शांति का अनुभव करते हैं बिना विश्वास के एक पल भी काम नहीं होता। आप होटल में जाते हो अगर आपके मन में यह भाव आ जाए पता नहीं इस भोजन में कुछ मिला तो नहीं है तो आप होटल का भोजन कर नहीं सकते।
दुकानदार पर, नाविक, डॉक्टर, ड्राइवर, शिक्षक, नाइ, आदि सभी पर विश्वास रहता है तभी तो आप सभी के प्रति समर्पित हो जाते हैं जैसी श्रद्धा आपकी इन सभी के प्रति होती है उससे भी अधिक श्रद्धा विश्वास समर्पण सच्चे देव शास्त्र गुरु के प्रति जरूरी हैं तब मोक्षमार्ग पर सफलता मिलेगी।
इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि जिनके जीवन में नियम संयम अनुशासन होता है वह अपने जीवन को महान बना लेते हैं जिस प्रकार आप बिना ब्रेक की गाड़ी में बैठना पसंद नहीं करते वैसे ही जीवन रूपी गाड़ी में नीयम-संयम रूपी ब्रेक जरूरी है। जिस प्रकार फसल की सुरक्षा के लिए बाढ़ लगाई जाती है वैसे ही जीवन रूपी फसल की सुरक्षा के व्रत रूपी बाढ़ जरुरी है। छोटे-छोटे नियमों से जंहा आपका तन स्वस्थ रहता है वंही आपका मन भी स्वस्थ रहता है।
जीवन मंत्रों की चर्चा करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि बोलने वालों को जीवन में सभ्यता नजर आती है बहुत जोर से बोलने वालों से सभी यही कहते कि धीरे बोलो। अहम छोड़ने वाले ही बड़े बनते हैं जो अपने आप को बड़ा मानते हैं सोच लो वह धर्म से बहुत दूर खड़े हैं। नथिंग , में कुछ भी नहीं हूं ऐसा सोचने वाले ही धर्म के महल में प्रवेश करते हैं एवरीथिंग मैं सब कुछ हूँ ऐसा सोचने वाले धर्म के महल में प्रवेश नहीं कर पाते। *अत: जीवन में अहंकार से दूर रहने का प्रयास करो।