जीवन एक रंगमंच
आज दिनांक 11-04-2018 को ललितपुर क्षेत्रपाल जैन मंदिर में सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञानसागर जी ने प्रातः काल धर्मसभा को अपनी पीयूष वाणी से संबोधित करते हुए कहा, इस संसार रूपी रंगमंच पर 2 ऐसे पात्र है जिनको समझना बहुत जरूरी है, वह है जीव और अजीव। जिसमें जानने देखने की शक्ति हो वह जीव है, जिसमें न हो वह अजीव। जीव अजीव आदि तत्वों को जानकर जो आत्म तत्व का चिंतन मनन करते हैं, वही एक दिन परमात्म अवस्था को प्राप्त कर लेते हैं।
इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि आज हर व्यक्ति सफलता प्राप्त करना चाहता है, सफलता कैसे प्राप्त हो, इस हेतु आवश्यक है व्यक्ति हरसमय मौत का स्मरण करके जिये। ऐसा करने वाले कभी बुरे मार्ग की ओर कदम नहीं बढ़ाते। कब मौत दस्तक दे जाए पता नहीं, अतः हर समय सजग, सावधान रहना चाहिए। पता नहीं कब किसका क्या हो जाये पता नहीं कब कौन विदा हो जाये कल की आशा में जीने वालों पता नहीं कब जिंदगी की शाम हो जाये।
मृत्यु दर्शन करने वाला व्यक्ति अहंकार नहीं करता, बैर-भाव की ग्रंथि नहीं बांधता। वह सोचता है कि सब कुछ छोड़कर जब इस दुनिया से जाना है तो किस पर अहंकार करें? आप तो इतने अरमान संजोते हैं कि ऐसा करूँगा, वैसा करूँगा पर यह कभी भी नहीं सोचते कि मौत कभी भी आ सकती है। शाम होने से पहले प्रभु भक्ति का दीप जला लें, स्वयं की आलोचना कर जीवन रूपी मैली चादर को साफ सुथरा कर लें, तभी जीवन सफल हो सकता है।