आईआईटी के छात्रों का सम्मेलन
दिनांक 02/11 /2019 श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र तिजारा की पावन धरा पर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में आईआईटी छात्रों का सम्मेलन का शुभारंभ अर्शिया जैन, भूमि जैन, महक जैन, तन्वी जैन के मंगलाचरण से हुआ। मंच संचालन डॉ राजीव सर्राफ बनारस ने किया। मुख्य अतिथि नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी पटना के निदेशक प्रो. पी के जैन थे।
सुरभि जैन मुंबई, प्रफुल्ल जैन धनबाद, निशांत जैन धनबाद, नीलेश बनारस, भूमिका बनारस, अंकित जैन धनबाद, अरिहंत जैन बनारस, ऋतिक जैन बनारस आदि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जहां पर भी हम रहते हैं वहां खान-पान की बहुत परेशानी है फिर भी हम लोग जैनत्व के संस्कारों को सुरक्षित रखने के कारण भले ही फल सब्जी खाकर रहे, पर किसी भी तरह की अभक्ष्य पदार्थों का प्रयोग नहीं करते है। अभी हम सभी ने सामूहिक रूप से दीपावली पर्व मनाया, मंदिर जाने से मानसिक शांति मिलती है, दिन भर की थकान मिट जाती है, वहां जाकर भक्तामर स्तोत्र का पाठ करते है।
मुख्य अतिथि प्रो.पी के जैन पटना ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अध्यात्म और जैन धर्म पर्यायवाची है। इसको समझने के लिए एक गुरु चाहिए, वह गुरु यहां पर विराजमान है। ऐसे गुरुओं के पास आकर ही हमें प्रेरणा मिलती है कि जीवन में आध्यात्मिकता बहुत जरूरी है, संस्कार बहुत जरूरी है। हमारी शिक्षा अध्यात्म और मानवीय मूल्यों से जुड़ कर रहे तभी वह शिक्षा विकासोन्मुखी होगी। प्रभु प्रार्थना से बहुत ऊर्जा मिलती है, शाकाहार भोजन ही हमारी बुद्धि को, बल को वृद्धिगत करता है। आज जहां-जहां संस्थाएं हैं अब वहां शाकाहारी भोजन को ही मुख्यता दे रहे हैं। जहां पर पटना में गेस्ट हाउस है वहां पर शाकाहारी भोजन ही चलता है सभी को साथ लेकर चलो इसी में सबका भला है।
ब्रह्मचारिणी अनीता दीदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जिंदगी का नक्शा आप जैसा बनाना चाहते हैं वैसा बना सकते हैं आप अच्छे कार्यों से अपने जीवन के नक्शे को अच्छा बना सकते हैं बुरे कार्यो से जीवन का नक्शा बुरा बनता है। छात्र-छात्राओं की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। आप सभी के उन्नत कंधों पर ही इस देश का भविष्य टिका हुआ है। जिन मां पिता ने आपको यहां पर लाकर खड़ा किया है उन मां पिता को कभी भूलना नहीं। उनके प्रति अपने कर्तव्य का पालन करना, ऐसा कोई कार्य नहीं करना जिससे आप की छवि धूमिल हो। इसी के साथ पूज्य श्री के व्यक्तित्व कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा कि उनका जैसा नाम है वैसा ही काम है। इन्होंने उन सराक बंधुओं को जैन धर्म की मुख्यधारा से जोड़ा है जो पक्के जैन थे श्रावक कहलाते थे, समय की करवट से श्रावक से सराक के रूप में जानें जाने लगे।
तदनंतर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि शिक्षा एक ऐसा संस्कार है जो जीवन रूपी सिक्कों को बहुमूल्य बना देता है। शिक्षा का उद्देश्य मात्र डिग्री प्राप्त करना नहीं है, शिक्षा का उद्देश्य जीवन को व्यसन मुक्त, तनाव मुक्त, संस्कारित बनाना है। जीवन में आने वाली बुराइयों की विदाई करना है। आप सभी से अपेक्षा है कि आप सभी जहां भी रहे वहां पर अपनी अच्छी छाप छोड़े। आदर्शों को स्थान देते हुए जन जन के अंदर संस्कारों का शंखनाद करें। जीवन को ऊंचाइयों की ओर ले जाने के लिए नैतिकता, मान्यता, संवेदनशीलता, दया, करुणा प्रेम को स्थान दें, प्रभु की प्रार्थना करें। आप सभी किसी भी तरह की चिंता न करें जहां भी रहे अगर किसी भी तरह की परेशानी हो समाज आपका सहयोग करेगी। प्रोफेसर श्री पी के जैन इतने बड़े पद पर रहकर कितने सहज सरल है, उनके विचारों में धार्मिक श्रद्धा आस्था की महक है। उन्होंने क्षेत्र के प्रति उदारता का भाव दिखाया।
श्री संजीव जी व अंकित जी आगरा बहुत व्यस्त रहते हैं फिर भी उन्होंने अपना समय निकाल कर इस कार्यक्रम की आयोजन में सहयोग प्रदान किया। क्षेत्र कमेटी सतत सभी कार्यक्रमों में बड़े उत्साह के साथ सहयोग कर सबका मन हर्षित कर देती है। क्षेत्र कमेटी सचिव अंकुश जैन ने बताया कि आईआईटी के छात्रों ने प्रातः काल श्री चंद्रप्रभु भगवान का अभिषेक किया। सभी ने क्षेत्र के दर्शन कर प्रसन्नता जाहिर की। क्षेत्र कमेटी ने भी सभी के उज्जवल भविष्य की कामना की।
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