जहाजपुर में उमड़ा जनसैलाब
दिनांक 24 जनवरी 2020 स्वस्तिधाम जहाजपुर राजस्थान की पावन धरा पर 23 अप्रैल सन 2013 को महावीर जयंती के स्वर्णिम दिन भूगर्भ से प्रगटित देवाधिदेव 1008 श्री मुनिसुव्रतनाथ भगवान की प्रतिमा के दर्शन कर जहाजपुर वाले धन्य हो गए। प्रतिमा दर्शन से सभी के नयन धन्य हो गए। जय जयकार की ध्वनि के साथ जहाजपुर नगर अतिशय क्षेत्र का रूप ले लिया। देवली में विराजमान आर्यिका 105 श्री स्वस्तिभूषण माताजी के पावन सानिध्य में 18 जून सन 2014 को वह प्रतिमा स्वस्तिधाम परिसर में अस्थाई वेदी में विराजमान हो गई।
जंगल में मंगल का रूप दिया आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी ने जिस परिसर में स्वस्तिधाम के नाम से जिसकी प्रसिद्धि हो गई, जिनका स्वपन साकार हो गया जिनकी तीव्र भावना थी कि गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में नवनिर्मित भव्य मंदिर के पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव संपन्न हो। कई बार स्वस्तिधाम कमेटी, पंचकल्याणक कमेटी पूज्य श्री के चरणो में पहुंचकर अनुनय विनय किए की जहाजपुर में 31 जनवरी से 7 फरवरी तक आयोजित पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में आप आए। तिजारा से चलकर आचार्य श्री पहाड़ी, बसवा अतिशय क्षेत्र, सीकरी, लक्ष्मणगढ़, गोविंदगढ़, दोसा, जयपुर होते हुए पदमपुरा अतिशय क्षेत्र पहुंचे।
वहां से विहार करते हुए जैसे आचार्य से आगे बढ़े वैसे ही प्रकृति प्रदत मौसम की प्रतिकूलता, असाता वेदनीय कर्म के उदय ने जिनके शरीर को ज्वर से पीड़ित कर दिया, रामपुरा बुजुर्ग ग्राम में तीन-चार दिन रुकना पड़ा ज्वर के कारण। पर आचार्य श्री ने मनोबल के बल पर बीमारी में ही विहार कर दिया, सभी को लग रहा था कि अब आचार्य श्री समय पर पहुंच नहीं पाएंगे पर आचार्य श्री ने दृढ़ संकल्प शक्ति के सहारे समय पर आने के जब संकेत दिए तब आर्यिका संघ तथा जहाजपुर वालों को ही नहीं, राजस्थान प्रांत वासियों के अंदर हर्ष की लहर जागृत हो गई। जितना जितना जहाजपुर नगर में स्थित स्वस्तिधाम के नजदीक आचार्य श्री आते गए, वैसे-वैसे आर्यिका माताजी, क्षुलिका श्री अर्हतमति माताजी के अंदर खुशियां द्विगुणित होती गई।
दिनांक 22 जनवरी 2020 को देवली में भाव भिना स्वागत किया श्रद्धालुओं ने। दिनांक 23 जनवरी 2020 को अमरवासी ग्राम पहुंचे वहां से दोपहर में भी विहार करते हुए जहाजपुर के निकट विश्राम किए। दिनांक 24 जनवरी 2020 की सुप्रभात बेला में सभी के अंदर अलग ही उत्साह था आर्यिका श्री स्वस्तिभूषण माताजी ससंघ स्वस्तिधाम से जहाजपुर मेन चौराहे पर भव्य अगवानी हेतु पहुंची। वह दृश्य देखने को सभी लालायित थे, तब आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज, आचार्य श्री विनीत सागर जी महाराज ससंघ विहार करते हुए जहाजपुर चौराहे की ओर बढ़ रहे थे।
उच्च मंच पर आचार्य संघ एक तरफ से, दूसरी तरफ से आर्यिका संघ चढ़कर आचार्य श्री का भाव भिना स्वागत कर रही थी। आचार्य संघ मंचासीन हुए। आर्यिका संघ एवं सभी बहनों ने तीन परिक्रमा लगाकर जब नमन निवेदित किया तब सभी ने जय-जयकार के नारों से परिसर को गुंजायमान कर दिया। उमड़ते हुए जनसैलाब ने भी हर्षित होकर वृष्टि की। चौराहे से आचार्य श्री विशाल जुलूस के साथ जहाजपुर में स्थित प्राचीन मंदिरों के दर्शन कर स्वस्तिधाम की ओर बढ़े। श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों एवं दुकानों के बाहर पाद-प्रक्षालन, आरती कर पलक पावडे बिछाकर स्वागत किया। स्वस्तिधाम की ओर बढ़ते चरणों को देखकर सभी हर्षित होकर आचार्य संघ की भव्य अगवानी में चार चांद लगा रहे थे।
स्वस्तिधाम क्षेत्र के मुख्य दरवाजे पर मंगल कलश लेकर महिलाएं मंगल गीत गाकर स्वागत कर रही थी, पाद-प्रक्षालन, आरती कर सभी ने श्रद्धा सुमन समर्पित किए। श्री जी के दर्शन का विशाल जुलूस धर्म सभा रूप में परिवर्तित हुआ। मंगलाचरण की मंगलमय भावनाओं के साथ सभा का शुभारंभ हुआ।
अधिक जानकारी के लिए ज्ञानसागर जी एप्प डाउनलोड करें।
जुड़ें हमारे व्हाट्सप्प नेटवर्क से अपना नाम लिख कर 9536835835 पर मैसेज करें