अंतर्राष्ट्रीय साइंटिस्ट वेबीनार
दिनांक 27 जून 2020 को आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर महाराज जी के आशीर्वाद व पावन मंगल सानिध्य में अंतर्राष्ट्रीय साइंटिस्ट वेबीनार संपन्न हुआ, जिसमें आज के परिप्रेक्ष्य में जैन धर्म वैज्ञानिक तथ्य एवं उसके महत्व जैसे महत्वपूर्ण शीर्षक पर देश विदेश से जुड़े विभिन्न साइंटिस्ट ने अपने वक्तव्य रखे।
उक्त वेबीनार की शुरुआत मंगलाचरण से हुई, उपरांत कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर पीटर फ्यूगल, एस ओ एस, डिपार्टमेंट ऑफ जैनोलॉजी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन द्वारा हुआ।
प्रोफेसर पीटर ने आचार्य श्री से आशीर्वाद लेते हुए जैन धर्म के मूल सिद्धांतों की बहुत ही संक्षिप्त में चर्चा की एवं आचार्य श्री के दूरदर्शी भावों व अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में सानिध्य की सराहना की। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए डॉ संजीव सोगानी सेक्रेटरी, ज्ञान सागर साइंस फाउंडेशन ने संक्षिप्त में फाउंडेशन द्वारा किए गए कार्यों की रूपरेखा, कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक सम्मेलनों व उपलब्धियों के बारे में बताया।
आचार्य श्री जी ने आशीर्वचन में कहा कि हमको प्रकृति के नियमों का पालन करना चाहिए और सभी वैज्ञानिकों को दयालु और संयम समदर्शी होना चाहिए । अहिंसा का पालन करते हुए कार्य करने चाहिए तथा पशु पक्षियों व पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।
कार्यक्रम के प्रथम भाग में जाने-माने विश्व स्तरीय भौतिकविद प्रोफेसर पारसमल अग्रवाल जी, अमेरिका से जुड़े और उन्होंने आत्मा से संबंधित तत्वार्थ सूत्र के बारे में चर्चा की और सामायिक का जीवन में बहुत विशेष महत्व बतलाया।
प्रोफेसर अशोक जैन, जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर ने रत्नकरण्ड श्रावकाचार के कुछ प्रसंगों का वर्णन किया और उसका वैज्ञानिक महत्व बतलाया।
कार्यक्रम के द्वितीय भाग में जाने-माने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉक्टर कल्याण गंगवाल जी ने जैन धर्म की महिमा बताते हुए शाकाहार के महत्व को वैज्ञानिकता के तर्क पर श्रोताओं को समझाया और उसका महत्व बताया। प्रोफ़ेसर जीवराज जैन भौतिकविद ने जैन धर्म में बताए गए काय के बारे में चर्चा की और जल में जीवन है इस प्रकार के वैज्ञानिक तथ्यों को वक्ताओं के सामने रखा।
तदुपरांत डॉ अनिल जैन जयपुर ने बहुत ही सरल जैन धर्म के मूल सिद्धांतों से जोड़ते हुए वर्तमान परिवेश में जैन क्रियाओं को स्वास्थ्य से जोड़कर बताया और चर्चा की।
कार्यक्रम के तृतीय भाग में
प्रोफेसर शान राज टेटर ने अपने जीवन के प्रसंग में जैन धर्म के महत्व और उसका वैज्ञानिक महत्व समझाया। डॉ सुरेंद्र पोखरण ने जैन धर्म को विज्ञान से बहुत आगे का बताया और उसके महत्व की चर्चा की।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में
जाने-माने चिकित्सक डॉ डीसी जैन, पूर्व अध्यक्ष भगवान महावीर मेडिकल कॉलेज नई दिल्ली ने अहिंसा का जैन धर्म में विशिष्ट स्थान बताया और उनके माध्यम से विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों के बारे में गहन चर्चा की। जाने-माने गणितज्ञ प्रोफेसर अनुपम जैन इंदौर ने मूलभूत जैन सिद्धांतों एवं गणित विषय की महिमा का वर्णन करते हुए इसके महत्व को बहुत ही सरल शब्दों में समझाया एवं उन्होंने कार्यक्रम से उभरे हुए ज्ञान को वास्तविकता में लाने के प्रयास की तरफ इशारा किया।
पुनः डॉक्टर संजीव सोगानी जी ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए जाने-माने इसरो के वैज्ञानिक डॉ राव एवं उनके द्वारा आचार्य श्री चर्चा के प्रसंगों व महत्व के बारे में बतलाया। इसी बीच डायना कैलिफोर्निया से कार्यक्रम के दौरान जुड़े और आचार्य श्री का आशीर्वाद लेते हुए उन्होंने अपने विश्वविद्यालय में जैन संकाय के विस्तारीकरण एवं शोध से जुड़े हुए तथ्यों के बारे में विस्तृत चर्चा की और भविष्य में आचार्य श्री के माध्यम से ज्ञान सागर साइंस फाउंडेशन से जुड़ते हुए नई दिशा के संकेत दिए। अपने शोध कार्यों के दौरान अपने अनुभव शोध समस्याओं, प्राकृत व पाली भाषा में लिखे गए जैन ग्रंथ के डिजिटलाइजेशन पर विशेष जोर दिया।
अंत में डॉ चक्रेश जैन ने हॉलिस्टिक सिस्टम एवं जीव, अजीव व वातावरण के बीच में सार्वभौमिक सामंजस्य की जरूरत पर चर्चा की। उपरांत अनीता दीदी ने वर्तमान में जैन सिद्धांतों को आचरण पर अवतरित करने पर जोर दिया। अंत में परम पूज्य आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज ने सभी वक्ताओं व श्रोतागणों को मंगल आशीर्वाद देते हुए कहा कि बिना धर्म के विज्ञान नाश का कारण हो सकता है। अतः सभी वैज्ञानिकों को धर्म की डोर के माध्यम से विज्ञान में सतत शोध कार्य करते रहना चाहिए और इस प्रकार से आज के परिवेश में कोरोना बीमारी से डरने या घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि जैन विधि व शैली को जीवन में उतारने की अत्यंत आवश्यकता है।