Gyansagar Science Foundation

दिगंबर जैन संत की नकारात्मक छवि को खंडित करते हुए पूज्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता अनेकश: प्रदर्शित की है। समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को समाज के साथ जोड़ने हेतु आयोजित किए जा रहे डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, एडवोकेट एवं न्यायविदो, प्रशासकों, चार्टर्ड अकाउंटेंट तथा शिक्षकों के सम्मेलनों का आपके सानिध्य में आयोजन इसका पुष्ट प्रमाण है।
जैन धर्म एवं दर्शन के वैज्ञानिक पक्ष के उद्घाटन हेतु अध्ययन एवं अनुसंधान कार्य को प्रोत्साहित करने में आपकी प्रारंभ से ही रुचि रही है तभी तो सहारनपुर प्रवास में 25 -27 मई 1995 के मध्य जैन विज्ञान राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। इसकी आंख्या का भी पुरुस्कार रूप में दिल्ली से प्रकाशन किया गया है।
पुनः 23 – 24 सितंबर 2008 के मध्य इंदौर में ‘जैन ग्रंथों में विज्ञान’ शीर्षक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन डॉक्टर संजीव सराफ, वाराणसी के संयोजकत्व में किया गया जिसकी आख्या ज्ञानदेशना, वर्ष- 3, अंक- 1, जनवरी -जून 2010 में मेरठ से प्रकाशित की गई।
सितंबर 2009 में पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञानसागर जी महाराज से प्रेरणा पाकर ज्ञान सागर साइंस फाउंडेशन के गठन के विचार को पूर्णता प्राप्त हुई। इसका जिज्ञासु जैन समाज को प्रथम परिचय जनवरी -2010 के वैज्ञानिक सम्मेलन से हुआ।

ज्ञान सागर साइंस फाउंडेशन (गज़फ) द्वारा 2013 तक 2 वैज्ञानिक सम्मेलन आयोजित किए जा चुके हैं।

१. ‘वैज्ञानिक विकास एवं हमारा दायित्व’ ‘वैज्ञानिक सम्मेलन’ बेंगलुरु, 29 -31 जनवरी 2010 Scientific development and our Responsibility, Scientist Meet, Bangalore, 29 to 31 January 2010 २. ग्लोबल वैज्ञानिक एवं इंजीनियर सम्मेलन ‘वैज्ञानिक प्रगति एवं हमारा दायित्व’ मुंबई 7 – 8 जनवरी, 2012 Global Scientists & Engineers Conferences on Scientific development and our Responsibility, Mumbai 7&8 January 2012

प्रथम सम्मेलन में 31 वैज्ञानिकों ने अपनी सहभागिता दी एवं 27 शोधपत्रों/ आमंत्रित व्याख्यानों की प्रस्तुति हुई। इस अवसर पर प्रकाशित सारांश पुस्तिका में इनके सारांश प्रकाशित है। सम्मेलन की विस्तृत व्याख्या ज्ञानदेशना (मेरठ), 3(2), जुलाई- दिसंबर 2010 में प्रकाशित है। द्वितीय सम्मेलन में लगभग 100 वैज्ञानिक सहभागिता देने पधारे एवं 18 आमंत्रित व्याख्यान आयोजित किए गए। इसके अतिरिक्त कुछ विशेष व्याख्यान भी हुए। सभी सारांशों का प्रकाशन पुस्तिका के रूप में हुआ। इसकी विस्तृत रिपोर्ट अर्हत वचन 24(2) अप्रैल – जून 2012 में प्रकाशित है।

अप्रैल 2013 में Journal of Gyansagar Science Foundation के प्रथम अंक का प्रकाशन GSF की तीसरी बड़ी उपलब्धि है। इसके पृष्ठ क्रमांक 5 पर GSF के 41 संस्थापक सदस्यों की चर्चा है किन्तु इनकी सूची उपलब्ध नहीं है। इस अंक में GSF के उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु 5 सुझाव (कार्य योजना के अंग) दिए गए हैं ।

  • Form a few panels of Jain Scientists in each field who have studied life science, physics, chemistry and astronomy but lack knowledge about jain viewpoint explanations
  • Jain Scholars can recommend appropriate books in jain religion on those topics to study
  • Jain philanthropists can fund scientific projects to explain certain phenomenon which are not previously proved/established by science but has been explained in religion.
  • Publish the results in peer reviewed journal.

फाउंडेशन 3 उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु कार्य कर रहा है।

  • संप्रदाय निरपेक्ष रूप से जैन समाज के सभी वैज्ञानिकों को एक मंच पर लाना।
  • समाज की गतिविधियों से दूर रहकर अंतर्मुखी बन कार्य करने वाले प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों को सामाजिक दायित्व बोध कराना एवं वैज्ञानिकों द्वारा समाधान योग्य समाज की आवश्यकता से उन्हें परिचित कराना।
  • जैन धर्म एवं दर्शन के वैज्ञानिक पक्ष को प्रस्तुत कर (अतिश्योक्ति एवं अतिरंजन नहीं) वैज्ञानिकों का ध्यान इस ओर आकृष्ट करना इससे वैज्ञानिक समुदाय की सम्पुष्टि सहित उसे जन-जन में प्रभावना की दृष्टि से प्रसारित करना।
    फाउंडेशन की प्रकाशित प्रस्तावित सिद्धांतिक कार्य योजना उक्त इन उद्देश्यों की प्राप्ति में सहायक है।

फाउंडेशन की भावी योजनाएं निम्नवत है:-

  • शोध लेखों के प्रकाशन हेतु प्रायोजन- वैज्ञानिक सम्मेलन साइंटिस्ट मीट में प्रस्तुत किए गए अथवा फाउंडेशन के प्रयासों से संकलित शोध पत्रों के प्रकाशन हेतु किसी प्रतिष्ठित शोध पत्रिका को प्रायोजित किया जाए (अनुदान दिया जाए) जो ऐसे शोध पत्रों को प्रकाशित करें।
  • विशिष्ट व्याख्यानों का आयोजन- जनसामान्य में अहिंसा के सिद्धांत के प्रचार हेतु वेबसाइट के प्रयोग के साथ ही विभिन्न स्थानों पर सेमिनारों का आयोजन किया जाए एवं विशिष्ट प्रतिभा संपन्न व्यक्तियों को आमंत्रित कर आयोजित किए जाए।
  • जैन वैज्ञानिकों की निर्देशिका- विभिन्न माध्यमों से विज्ञान के क्षेत्र हमें अनुसंधानरत जैन बंधुओं के बायोडाटा प्राप्त कर उनकी एक डायरेक्टरी का प्रकाशन करना जिससे परस्पर संपर्क स्थापित किया जा सके।
  • फाउंडेशन की स्वतंत्र वेबसाइट- इस पर जैन धर्म उसके सिद्धांतों के प्रचार हेतु वैज्ञानिक दृष्टि संपन्न लेखों, अतिविशिष्ट व्यक्तियों द्वारा लिखित आलेखों, जैन समुदाय के वैज्ञानिकों के बारे में जानकारी संकलित की जाए। वैज्ञानिक दृष्टि संपन्न व्यक्तियों की रूचि की नवीनतम जानकारी इस पर सतत उपलब्ध कराई जाए।
  • स्मारिका का प्रकाशन- फाउंडेशन निश्चित अंतराल पर स्मारिका का प्रकाशन करें जिससे फाउंडेशन की योजनाओं को व्यापक प्रचार मिले।
  • स्वयं की शोध पत्रिका (Research Journal) का प्रकाशन- वैज्ञानिक गतिविधियों में संलग्न जैन एवं जैनेतर वैज्ञानिकों से शोधलेखों को आमंत्रित कर फाउंडेशन की शोध पत्रिका का प्रकाशन किया जाए। इससे फाउंडेशन की प्रतिष्ठा बढ़ेगी एवं हम अपने चिंतन को सम्यक लोगों तक पहुंचा सकेंगे।
  • शोध वृत्ति (Fellowship) की स्थापना- किसी जैन वैज्ञानिक को उसके शोध कार्य हेतु प्रतिवर्ष एक शोधवृत्ति (Fellowship) प्रदान की जाए। इस हेतु औपचारिकताओं का निर्धारण पर विज्ञापन वेबसाइट पर जारी किए जाए।
  • शोध पत्र हेतु पुरस्कार- विभिन्न क्षेत्रों जैसे Physical science, Mathematical science, Chemical science, Biological Science, Environental Science, Structural Science, Forensic science, Medical Science में कार्य करने वाले अधिकाधिक विद्वानों को फाउंडेशन से जोड़ने हेतु उनके शोध कार्यों हेतु प्रतिवर्ष पुरस्कार के रुप में दिए जाने चाहिए। एतदर्थ विषय परिधि, पुरस्कारों की संख्या, पुरस्कार राशि, चयन प्रक्रिया आदि के निर्धारण हेतु एक कमेटी के गठन की अनुशंसा की गई।