दूसरों को दर्द मत दो
श्री दिगंबर जैन क्षेत्रपाल मंदिर ललितपुर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपने पीयूष वाणी द्वारा कहा कि मंदिरों के निर्माण के साथ इंसान के भी मंदिर बनना चाहिए। एक इंसान नेक इंसान बन जाए तो अनेक इंसान अपने जीवन में इंसानियत की रोशनी जला सकते हैं। आज इंसान कठोर होता जा रहा है तभी तो किसी कवि ने लिखा है,
महावीर ने तो कांटों को भी नरमाई से छुआ,
लोग बेदर्द हैं फूलों को भी मसल देते हैं,
इंसानियत की रोशनी गुम हो गई कहां,
साए हैं आदमी मगर आदमी कहां।
इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा सेवा करने वाले ही मेवा पाते हैं। दूसरों की सेवा करने वाले ही जीवन में स्वास्थ्य लाभ करते हैं। सेवा कर के तो भूल जाना चाहिए पर जिसकी सेवा की है उसे हमेशा याद रखना चाहिए। प्रकृति भी परोपकार का पाठ पढ़ाती है। बादल, नदी, कुआँ, वृक्ष परोपकार का ही पाठ पढ़ाते हैं। अगर कोई पीड़ित है तो उसकी पीड़ा को दूर करने का प्रयास करो, उसे और अधिक पीड़ित मत करो।
मत सता जालिम किसी को मत किसी की हाय लो,
औरों को अगर तुम सताओगे तो खुद सताए जाओगे।
जो व्यक्ति दूसरों के दर्द को समझते हैं वह व्यक्ति कभी भी दर्द की वजह नहीं बनते। आचार्य श्री ने कहा कि व्यक्ति को कभी भी दूसरों को दर्द नहीं देना चाहिए। दूसरों को अगर आप खुशी दे सकते हो तो दो अन्यथा दुख नहीं देना चाहिए। आज दूसरों की खुशी दूसरों के दर्द का कारण बन जाती है यह उचित नहीं।
धर्म कहता है कि सब के प्रति मैत्रीभाव रखो तभी आप धर्मात्मा कहलाओगे।
अंत में आचार्य श्री ने कहा कि 15 मई को जो काउंसलिंग होनी है वह काउंसलिंग छात्र छात्राओं के साथ माता-पिता के जीवन में भी एक नई रोशनी बिखेरेगी। काउंसलिंग भविष्य को उज्जवल बनाने की प्रक्रिया है। निराश छात्रों के जीवन में आशावादिता का दीप जलाने में माध्यम बनेगी।