पानी छानकर पीना
एक बूंद पानी में असंख्यात जीव होते हैं, वैज्ञानिकों ने एक बूंद पानी में 36450 जीव माने हैं|
पानी का छन्ना: सफेद कपड़ा, सूती कपड़ा, मोटा कपड़ा (जिसमें से दुहरा करने पर सूर्य की रोशनी आर पार न हो सके) छन्ने का आकार इतना हो कि पानी छानने पर उसके कोनों तक पानी न पहुंचे। ऐसे कपड़े से जल छानने पर वह जल 48 मिनिट तक त्रस जीव रहित हो जाता है| इस छने हुए जल में 48 मिनिट के अंदर लौंग, ईलायची आदि कोई गर्म वस्तु डाल दें तो उसी जल की मर्यादा 6 घंटे, यदि थोड़ा गर्म कर लिया जाए तो 12 घंटे, उबालने पर 24 घंटे मर्यादा हो जाती है।
एक बार मर्यादा समाप्त होने पर पुनः छानने के बाद ही वह जल मर्यादा में आएगा।
जीवाणी जहा से पानी लाया गया है वही पर वापस डालनी चाहिये. जीवाणी से तात्पर्य होता है की उस कपडे को उल्टा करके कुछ पानी( छना हुवा ) वापस डाल कर पानी के जीवो को दुबारा पानी में ही पंहुचा कर हिंसा के दोष से भी बचना | कुएं की उसी कुएं में, नदी के पानी की उसी नदी में| अन्यत्र स्थान पर पहुंचाया गया तो वे उस नए वातावरण में जी नहीं पाएंगे।
हाँ ये सही है कि आज टोंटी से पानी लेने के कारण हम पानी छानने के अपने मुख्य ध्येय जीव रक्षा को पूर्ण करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। आर ओ, बोतल बंद पानी, मिनरल वाटर लेना सर्वथा अनुपयोगी है, क्यूंकि न तो वो मर्यादित समय का छना हुआ है न ही उसमे अहिंसात्मक रूप से जीवाणी हुई है|
आर ओ, बोतल बंद पानी, मिनरल वाटर बताया जाता है कि वह पानी आपके लिए उपयोगी है, परंतु है इसके विपरीत, वह पानी आपके लिए बहुत अनुपयोगी है, उस पानी से अशुद्धि के साथ साथ बहुत से आवश्यक तत्व (जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं) भी निकल जाते हैं और आपका शरीर इतना कमजोर हो जाता है कि अन्य स्थान के पानी को पचा नहीं पाता।
500 टी डी एस तक का पानी पीने योग्य होता है, परंतु ये कंपनियां पानी के टी डी एस को बहुत कम कर देती हैं, जबकि उबला हुआ पानी पानी के समस्त गुणों को कम या ज्यादा करके उसका सही टी डी एस बना लेता है।