कीर्ति नगर में हुआ सीए सम्मेलन
दिनांक 19-12- 2019 श्री पारसनाथ दिगंबर जैन कीर्ति नगर मंदिर में सराकोद्धारक आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में सीए सम्मेलन हुआ; जिसमें जयपुर, मालपुरा, केकड़ी, निवाई, फागी आदि स्थानों से सीए आए। सभी ने अपना-अपना परिचय दिया। परिचय के मध्य सभी ने धार्मिक संस्कारों का परिचय देते हुए कहा कि मैं प्रतिदिन मंदिर जाता हूं, अभिषेक पूजन पाठ करता हूं।
आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी के अंदर वह प्रतिभा छपी हुई है जिसके प्रकट होने पर आप सभी इस देश का गौरव बढ़ा सकते हैं। आप में से कोई भगतसिंह, चंद्रशेखर आजाद, श्रवण कुमार जैसे बनकर देशभक्ति का परिचय आगे जा कर देंगे। मुझे बड़ी प्रसन्नता हुई आप सभी के अंदर जैनत्व के चिन्हों के प्रति श्रद्धा आस्था देखकर। आप सभी का आभार कि फाइलें देखकर सभी को सही रास्ता दिखाते हैं, समाधान देते हैं। वहीं अपने अपने घरों की फाइलें भी देखें; बच्चे क्या कर रहे हैं, मां-पिता किसी परेशानी में तो नहीं है। अगर आप दस मिनट परिवार के लिए देते हैं, आपके घर स्वर्ग का रूप ले सकते हैं। आज आवश्यकता है संस्कारों के शंखनाद की, जैन कौन है? अकेले मात्र जैन कुल में जन्म लेने से आप जैन नहीं कहलाएंगे; आपके अंदर संस्कार होना चाहिए। इसी बात को भिन्न पंक्तियों में किसी कवि ने संजोया है
हर जान को जो एक समझे वह जैन है
इस जिंदगी के राज को समझे वह जैन है
जीव मात्र के प्रति, प्राणी मात्र के प्रति मैत्री का/ दया का भाव होना ही जैनत्व है। जीवों की रक्षा करने का भाव सभी के अंदर होना चाहिए। आप सभी व्यस्त होंगे फिर भी आप किसी ना किसी तरह समय निकालकर देव-शास्त्र-गुरु से जुड़ें, संस्कारों के शंखनाद के प्रति जागरूक रहें। 24 घंटे में अगर आस-पास मंदिर है तो अवश्य जाएं। जैन वर्कर अगर आप के साथ हैं तो उन्हें भी मंदिर जाने की प्रेरणा दें। आपस में एक दूसरे के लिए सहायता करें। अगर कोई गलती हो तो उसे सुधार का रास्ता बताएं। समाज का गौरव बढ़ाएं। कुछ ऐसा कार्य करके जाएं जिससे आपका नाम रोशन हो।
आप सभी भी जहां भी रहे ईमानदारी, प्रमाणिकता के साथ रहें। आप अपनी क्षमता को जगाएं। एक सूत्र में बंध कर रहें। अपने अंदर आत्मविश्वास जगाएं। मात्र बाहरी संसाधनों से आप महान नहीं कहलाएंगे, आप अपने अच्छे कार्यों से महानता हासिल करें। आप समाज के, समाज आपका, आपकी अनेक जिम्मेदारियां समाज के प्रति हैं। एक डायरेक्टरी तैयार करें जिसमें जयपुर के सीए की सूची हो। परिचय के मध्य ऐसा ज्ञात हुआ कि आप सभी एक सूत्र में बंधकर बहुत कुछ कर सकते हैं। सीनियर सीए की भी सूची हो ताकि उनका एक साल में सम्मान हो सके। सप्ताह में 15 दिन में थोड़ा-थोड़ा समय निकालकर आपस में मिले-जुले, चर्चा करें। भौतिक संसाधनों का सदुपयोग करें, दुरुपयोग एवं अति उपयोग ना करें।
पूज्य श्री के उद्बोधन से पूर्व ब्रह्मचारिणी अनीता दीदी ने संगठन का महत्व बताते हुए सभी को एक सूत्र में पिरोने हेतु प्रेरणा दी। सभी एकत्र होकर अपनी पहचान बनाएं। जब से आचार्य श्री का जयपुर में मंगल आगमन हुआ है, तब से सभी के अंदर नई चेतना जाग रही है। शीत लहरों के बीच भी आप सभी के अंदर उत्साह नजर आ रहा है, उससे लगता है कि आप सभी के अंदर श्रमण संस्कृति के प्रति श्रद्धा, आस्था है। आगे भी इसी तरह की श्रद्धा, आस्था आप सभी की देव-शास्त्र-गुरु के प्रति बनी रहे यही सद्भावना है। पश्चात श्री जगदीश जैन ने अपने विचार व्यक्त किए।