बच्चों को संस्कार दें
आज दिनांक 14-04-2018 को श्री दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र क्षेत्रपाल जी मंदिर ललितपुर में प्रातः कालीन धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञानसागर ने अपनी वाणी द्वारा कहा कि आज आप सभी अपने बच्चों को मंदिर कब भेज पाओगे जब आप उन्हें मंदिर जाने का सटीक उत्तर देंगे। आप उन्हें नरक का डर दिखला कर मंदिर नहीं भेज सकते जब तक बच्चों को आप वैज्ञानिक तत्व नहीं बताएंगे तब तक बच्चे मंदिर जाना प्रारंभ नहीं करते।
स्वर्ग नर्क जंहा है वह तो वहां पर है, पर घरों में भी आप स्वर्ग नरक का रूप देख सकते हैं। जिन घरों में हमेशा तनाव रहता है आपस में लड़ाई झगड़ा होता है मनमुटाव रहता है वह नरक का रूप ले लेता है और जिन घरों में हमेशा प्रेम वात्सल्य की सरिता प्रवाहित होती है परस्पर में एक दूसरे के सुख-दुख में साथ देते हैं, बड़े बूढों को सम्मान देते हैं, जिनके यंहा साधुओं के आहार होते हैं, उन घरों में स्वर्ग जैसा अनुभव होता है। यह आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप घरों में क्या बनाना चाहते हैं।
आचार्य श्री ने कहा कि इस अदालत में भले ही रिश्वत से काम हो जाए पर प्रभु की अदालत में कोई रिश्वत नहीं चलती वहां तो पाई पाई का हिसाब होता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी अपनी करनी का फल मिलता है। हाँ ये बात अलग है कि आप अपनी विशुधि के द्वारा अशुभ कर्म, पाप कर्म को शुभ रूप पुण्य रूप में बदल सकते हो। संक्लेश के द्वारा पुण्य को पाप रूप में परिवर्तित कर सकते हो।
आज का किया हुआ कर्म कई दिनों के बाद फल प्रदान कर सकता है यह जरूरी नहीं है कि आज ही या इस भव में फल प्रदान करें। पुण्य पाप के उदय में क्या क्या फल प्राप्त होता है, अनेक पौराणिक कथाएं हैं जिनसे यह ज्ञात होता है कि व्यक्ति को अपनी करनी का फल प्राप्त करना ही होता है। *तीव्र कर्म के उदय में व्यक्ति का पुरुषार्थ भी काम नहीं करता जबकि मंद कर्म के उदय में थोड़ा सा पुरुषार्थ भी काम कर जाता है। कर्म सिद्धांत को अच्छी तरह समझ कर कर्मों से छुटकारा पाने का प्रयास करें तभी व्यक्ति इंसान से भगवान बन सकता है।