अष्ट प्रतिहार्य और अष्टमंगल
अष्ट प्रतिहार्य और अष्टमंगल अष्ट प्रतिहार्य भगवान के होते है, जो केवलज्ञान के बाद प्रकट होते हैं। अष्ट प्रतिहार्य हैं- अशोक वृक्ष, चौसंठ चंवर, भामंडल, देव दुंदुभी वादन, तीन छत्र,…
अष्ट प्रतिहार्य और अष्टमंगल अष्ट प्रतिहार्य भगवान के होते है, जो केवलज्ञान के बाद प्रकट होते हैं। अष्ट प्रतिहार्य हैं- अशोक वृक्ष, चौसंठ चंवर, भामंडल, देव दुंदुभी वादन, तीन छत्र,…
समन्तभद्र स्वामी स्वामी समन्तभद्र का जन्म दक्षिण भारत के फणिमण्डल देश के उरगपुर नगर में हुआ था। यह कावेरी नदी के तट पर एक प्रसिद्ध नगर था और इसे पुरानी…
आचार्य उमास्वामी आज से लगभग 1800वर्ष पूर्व ईसा की दूसरी शताब्दी में आचार्य उमास्वामी हुए। उन्होंने 18 वर्ष की अवस्था में मुनिदीक्षा ली और 25 वर्ष बाद आचार्य पद धारण…
आचार्य श्री कुन्दकुन्द स्वामी लगभग 2100 वर्ष पहले आचार्य कुंदकुंद स्वामी का जन्म आंध्र प्रदेश के अनन्तपुर जिले के कोण्डकुंदु (कुन्दकुन्दपुरम) (कुरुमलई) में माघ शुक्ल पंचमी को ईसवी से 108…
अष्टान्हिका पर्व अष्टान्हिका पर्व का संबंध 8वाँ द्वीप नंदीश्वर द्वीप से हैं। वहां कुल 52 पर्वत है, एक एक पर्वत के शिखर पर एक एक अकृत्रिम जिनमंदिर और एक मंदिर…
तीर्थंकर की विभिन्न विशेषताएं –गर्भ तीर्थंकर भगवान के गर्भ में आने के छह महीने पहले ही इन्द्र की आज्ञा से कुबेर माता के आंगन में त्रिकाल में साढे़ तीन करोड़…
जैन पर्व : अक्षय तृतीया अक्षय तृतीया पर्व वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है । इस दिन आहार देने की परंपरा प्रारम्भ हुई थी । प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव जी…
तीर्थंकर कौन? तीर्थ को करने वाले या तीर्थ बनाने वाले अर्थात् जिनके होने से तीर्थ बने | जो धर्म तीर्थ को चलाये / स्थापना करें वो तीर्थंकर | तीर्थंकर ही…
णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आइरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं यह पंच नमस्कार मन्त्र, पंच परमेष्ठी मंत्र, अनदिमूलमंत्र, अनदिनिधनमंत्र आदि नामों से भी जाना जाता है। इसकी रचना…