अष्ट प्रतिहार्य और अष्टमंगल
- अष्ट प्रतिहार्य भगवान के होते है, जो केवलज्ञान के बाद प्रकट होते हैं।
- अष्ट प्रतिहार्य हैं- अशोक वृक्ष, चौसंठ चंवर, भामंडल, देव दुंदुभी वादन, तीन छत्र, पुष्प वृष्टि, दिव्य ध्वनि और सिंहासन।
- ये मंदिर जी में भगवान की मूर्ति के पास रखे जाते हैं। आचार्य मानतुंग जी ने भक्तामर स्तोत्र के श्लोक 28 से 35 में इन अष्ट प्रतिहार्य का अद्भुत वर्णन किया है।
- अष्टमंगल मांगलिक द्रव्य है जो किसी भी शुभ कार्य मे रखे जाने चाहिए। इन्हें घर में भी रख सकते हैं। ये हैं-
- भृंगार-झारी, बीजना(पंखा), कलश, दर्पण, चंवर, स्वास्तिक, ध्वजा और छत्र।
अभिषेक पाठ में भगवान विराजमान करते समय यह श्लोक बोलते हैं जिसमें इनका वर्णन है:-
भृंगार -चामर- सुदर्पण- पीठ- कुम्भ- ताल-ध्वजातप-निवारक- भूषिताग्रे ।
वर्धस्व-नंद- जय- पाठपदावलीभिः, सिंहासने जिन! भवन्तमहं श्रयामी ।।