अपनी नजरों को साफ रखें
दिनांक 16-04-2018 को दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र, क्षेत्रपाल मन्दिर ललितपुर को प्रातःकाल धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि जीवन में प्रमादपूर्वक असावधानीपूर्वक बेहोशी के साथ आप जो भी कार्य करते हैं उसमें हिंसा है। अगर आप अहिंसक कहलाना चाहते हैं, बनना चाहते हैं तो प्रत्येक क्रिया में जागरूकता हो सावधानी हो। प्रमाणिकता जिनके जीवन में होती है उसकी साख सभी के अंदर अच्छी रहती है। ईमानदार लोग आज भी है, भले ही कम हो। जिस व्यक्ति के जीवन में सत्य के प्रति समर्पण रहता है वह सभी की दृष्टि में अपनी छाप अंकित कर देते हैं। असत्य, चोरी आदि पाप व्यक्ति को पतन की ओर तो ले ही जाते हैं साथ में लोगों की नजरों में भी गिर जाते हैं।
– इसी के साथ आचार्य श्री ने कहा कि पापों से बचने के लिए ही आप मन्दिर जाते हो तो मन्दिर में जाकर प्रभु की भक्ति निष्काम भाव से करें। प्रभु के पास जाकर सांसारिक आकांक्षा रखोगे तो हानि होगी। अरे! तीन लोक के नाथ के पास जाकर तो बस एक ही भावना भाना वन्दे सद्गुण लब्धये* प्रभु मुझे तो बस आप जैसे गुणों की प्राप्ति हो जाये। आप जैसी संपदा प्राप्त हो जाये।
प्रभु के दर्शन से तो गई हुई दृष्टि भी आ जाती है परंतु दूरदर्शन आदि देखने से दृष्टि कमजोर हो जाती है अतः भौतिक संसाधनों का दुरुपयोग ना करें । आचार्य जी ने इस अवसर पर कुछ सूत्र प्रदान करते हुए कहा कि भोजन करते हुए अनुशासन रखें क्या खाना क्या नहीं खाना कितना खाना इन पर ध्यान रखना चाहिए ।अपनी जुबान पर अनुशासन रखें ।अपनी चक्षु इंद्रिय को काबू में रखें ।बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला यह वाक्य आप पढ़ते हैं बहुत बड़ा संदेश छिपा है इन पंक्तियों में अपनी नजरों को साफ रखें पराया धन देखकर लालच ना करें। अगर इन सभी बातों पर अगर ध्यान देंगे तो जीवन सुख शांति से व्यतीत हो सकता है ।