अखिल भारतीय जैन बैंकर फोरम की केंद्रीय कार्यकारिणी की बेविनार हुई सम्पन्न
जिंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों ना आएं आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं : आचार्य श्री ज्ञानसागर
कोरोना वायरस ने दया, मानवीयता, सहयोग का पाठ पढ़ाया
राष्ट्रसंत सराकोद्धरक आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के बारां (राजस्थान) प्रवास के दौरान आचार्यश्री के पावन सान्निध्य में अखिल भारतीय जैन बैंकर फोरम द्वारा ऑनलाइन एक वेबीनार का आयोजन किया गया जिसमें समाज को बैंक से होने वाले लाभ एवं अल्पसंख्यक वर्ग हेतु क्या-क्या लाभ मिल सकते हैं के बारे में बताया गया तथा विशिष्ट वक्ताओं ने विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन दिया।
फोरम के राष्ट्रीय महासचिव श्री जे के जैन ने बताया कि इस फोरम की स्थापना आचार्य ज्ञानसागर महाराज जी की प्रेरणा से वर्ष 2013 में की गई थी l फोरम द्वारा देश के विभिन्न भागों में अभी तक 25 शाखाओं की स्थापना की जा चुकी है, जो अपने अपने क्षेत्रों में समाज सेवाओं के बहुत ही रचनात्मक कार्य कर रही हैं l पीएम केयर फंड में बैंकर्स फोरम ने दान दिया है। इस ऑनलाइन वेबिनार में देश के विभिन्न क्षेत्रों से 21 शाखाओं के सचिव एवं अध्यक्षों ने भाग लिया साथ ही केंद्रीय कार्यकारिणी के विभिन्न सदस्यों ने भी सभा में भाग लिया।
इस अवसर पर मुख्य वक्ताओं के रूप में डॉ आरसी लोधा जी, सेवानिवृत्त कार्यकारी निदेशक सेंट्रल बैंक, डॉ सुनील जैन संचय शिक्षाविद, ललितपुर, डॉक्टर सन्मति स्वरूप चंद ठोले औरंगाबाद ने मुख्य वक्ताओं के रूप में अपने विचार व्यक्त किए l इस अवसर पर परम श्रद्धेय अनीता दीदी जी ने अपना मार्गदर्शन प्रदान किया। इस मौके पर फोरम के कार्यकारी अध्यक्ष श्री अरुण रपरिया आगरा द्वारा सभी सदस्यों का स्वागत किया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कमल कुमार जैन उदयपुर वालों ने फोरम की उपलब्धियों के संबंध में विस्तार से बताया l
इस अवसर पर आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज जी ने अपने संबोधन में कहा कि जैन जैन बैंकर समाज सेवा के क्षेत्र में अत्यंत सराहनीय कार्य कर रहा है l कोरोना महामारी के दौरान फोरम की शाखाओं द्वारा किए गए कार्य अत्यंत सराहनीय हैं l बैंकर्स ने कोरोना योद्धा बनकर सेवा की है। उन्होंने आगे कहा कि संयम से रहो, जीवन में कभी भी प्रकृति का दोहन न करो, पानी को अपव्यय न करें, पशु-पक्षियों के प्रति दया करो । कोरोना वायरस ने हमें दया, मानवीयता, सहयोग का पाठ पढ़ाया है। नशा मुक्त जीवन जिएं, माता-पिता का सम्मान करें, भारतीय बनें, सात्विक जीवन अपनाएं, अपने जीवन में अच्छे कार्य करें, अपनी संस्कृति को समझो, अपने दायित्वों, कर्त्तव्यों का पालन करें।
वर्तमान में बढ़ रहीं आत्महत्याओं पर आचार्यश्री ने वेबिनार में अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान में तनाव के कारण सबसे ज्यादा लोग आत्महत्या कर रहे हैं। जिंदगी में कितने भी उतार-चढ़ाव क्यों ना आएं आत्महत्या करने का ख्याल कभी मन में मत आने दीजिए। आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं है। चिंता किसी समस्या का समाधान नहीं, चिंतन समस्या का समाधान है। अंधेरे को कोसने की बजाए एक दीया जला लें। जो आपके पास नहीं है, उसका रोना मत रोएं। क्षमाशील बनें। अपने दिमाग में आशावादी, साहस, स्वास्थ्य, शांति की विचार लहरियां आने दें। चिंता मत करें। आज की परिधि में जिएं। कल परसों या बीते समय का रोना मत रोएं। जो भी कार्य करें, लग्न व परिश्रम से करें। अच्छी व प्रेरणादायक पुस्तकें जरूर पढ़ें। जोश में होश मत खोएं। नशा छोड़ दें। नशा नाश कर देता है। ईश्वर ने हमें सुन्दर अमूल्य शरीर दिया है, इसको स्वस्थ रखें। इसे चिंता, बीमारी से बचाएं। इसे नशे एवं कुसंगत से बचाएं। इसे अपनी क्षमता से दुनिया में अद्वितीय बनाएं क्योंकि हर व्यक्ति विलक्षण है। तनाव से बचने के लिए हमेशा सकारात्मक रहें।
वेबिनार का सफल संचालन फोरम के महासचिव श्री जे के जैन द्वारा किया गया l इस दौरान इंजी. अभिषेक जैन, मनीष जैन तिजारा , कविता जैन आदि ने भी विचार रखे।