अखिल भारतीय जैन प्रतिभा सम्मान समारोह

आज जैन समाज को जैन धर्म की प्रभावना, जैन समाज की प्रतिष्ठा एवं भगवान महावीर के बताए अहिंसा के मार्ग के अनुरूप संपूर्ण भारत में पवित्र वातावरण के स्थापना की आवश्यकता है। जिसमें जैन समाज की युवा पीढ़ी का एक प्रमुख योगदान होगा। इस दूरगामी सोच के तहत सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज ने अखिल भारतीय जैन प्रतिभावान छात्र-छात्राओं के सम्मान की नींव रखी। आचार्य श्री का कहना है कि छात्र देश का भविष्य है, देश के आधार स्तंभ है, यदि वे सुरीति से चलेंगे तो देश अवश्य प्रगति को प्राप्त होगा। आचार्य श्री की यह सोच कि हम सब पंथ से ऊपर भगवान महावीर के उपासक हैं। तो न श्वेतांबर न दिगंबर और न कोई पंथ वाद, संपूर्ण जैन प्रतिभाओं का एक मंच पर सम्मान ताकि वह छात्र-छात्राएं भगवान महावीर के संदेश को अपनाकर अपने जीवन को संस्कारमय बना सके ।

आचार्य श्री का कहना है आज आवश्यकता है सदाचार, नैतिकता एवं कर्तव्यनिष्ठता की। इन सभी के लिए आवश्यकता है शिक्षा की। पर शिक्षा कैसी होनी चाहिए? शिक्षा वह है जिसके द्वारा हित-अहित का ज्ञान होता है। छात्र छात्रा अपने जीवन में आचरण को स्थान दें ताकि वह आचरण की छाप जीवन में डाल सके। छात्रों में शाकाहार, देशभक्ति, नैतिकता आदि का संचार हो क्योंकि छात्रों पर ही देश का भविष्य टिका हुआ है।

सम्मान समारोह की नीव सर्वप्रथम आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज की पावन प्रेरणा एवं सानिध्य में राजस्थान के राज्य स्तरीय सम्मान समारोह से शुरू हुई जो 29 अक्टूबर 1999 को अजमेर में संपन्न हुआ। उसके पश्चात सन 2000 से संपूर्ण भारतवर्ष के किसी भी प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अथवा सीबीएसई की योग्यता सूची में प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं तथा 90% या उससे अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्र छात्राओं को सम्मानित किया जाता है। 18 वर्षों में यह सम्मान समारोह आज एक नए स्तर पर पहुंच चुका है। 19वा सम्मान समारोह इस वर्ष आयोजित  होने जा रहा है।