आचार्य श्री की प्रेरणा स्वरुप ‘जैन डॉक्टर फोरम’ अस्तित्व में आया। यह फोरम 1997 से लगातार आचार्य श्री के निर्देशन में अखिल भारतीय जैन डॉक्टरों का एक सम्मेलन आयोजित करता है। प्रत्येक सम्मेलन में आचार्य श्री इस बिंदु पर बल देते हैं कि चिकित्सा व्यवसाय से किसी भी रूप से सम्बद्ध प्रत्येक व्यक्ति को जैन दर्शन के मूलभूत तत्वों, सिद्धांतों का ज्ञान होना चाहिए तथा अपने चरित्र एवं आचरण में उनका पालन भी करना चाहिए। गुरुवर की मान्यता है कि चिकित्सा व्यवसाय का मूल आधार ही पर-सेवा, पर-हित, पर-उपकार पर-पीड़ा निवारण है और जैन धर्म ‘अहिंसा परमो धर्म’ के मूल्यों और आदर्शों के प्रचार-प्रसार पर बल देता है। इस प्रकार जैन धर्म एवं चिकित्सा व्यवसाय में चोली दामन का साथ है।

डॉ डीसी जैन न्यूरोलॉजी विभाग दिल्ली को आचार्य श्री के दर्शन का लाभ रांची में मिला जब उन्हें स्थानीय चिकित्सकों के सम्मेलन में आचार्य श्री ने बुलाया। वहां पहुंचकर डॉक्टर जी को यह आभास हुआ कि मुनिश्री शाकाहार, व्यसन मुक्ति अभियान को पूरे भारतवर्ष में फैला सकते हैं। उनकी भी चिकित्सा जगत में व्यसनों से फैलने वाले रोगों की एवं मांसाहार जन्य रोगों को दूर करने की भावना थी परंतु यह ज्ञात नहीं था कि इस अभियान को गति कैसे दी जाए। आचार्य श्री ने रांची में उदाहरणस्वरूप करके दिखा दिया। उसके बाद आचार्य श्री ज्ञानसागर जी बिहार, झारखंड के सुदूर इलाकों में निर्भय होकर जनमानस को व्यसनों से मुक्ति दिला कर उन्हें शाकाहारी होने की प्रेरणा देने लगे। यह कार्य असाधारण कार्य था। उनकी पीयूष वाणी को सुनकर आदिवासी जनजाति के लोग परम भक्त हो गए।

 

छहढाला में आया भी है

जग सुहित कर, सब अहित हर
श्रुति सुखद सब संशय हरै
भ्रम रोग हर, जिनके वचन
मुखचंद्र तै अमृत झरैं।।

आचार्य श्री की पवित्र भावना से प्रेरित होकर चिकित्सक सम्मेलनों का आयोजन किया गया।

 

प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन तिजारा (अलवर) अतिशय क्षेत्र-

वर्ष 1997 में सबसे पहला अखिल भारतीय जैन राजस्थान के अलवर के निकट प्रसिद्ध अतिशय क्षेत्र तिजारा जी के मंदिर में आयोजित किया गया। भगवान श्री चन्द्रप्रभ जी का यह स्थान पूरे भारतवर्ष में विख्यात है। दो दिवसीय इस सम्मेलन में लगभग 400 चिकित्सकों ने भाग लिया। अनेक प्रमुख डॉक्टरों ने उद्बोधन दिए। उन्होनें अहिंसक जीवन शैली का स्वास्थ्य पर होने वाले लाभों के उल्लेख किया। इस सम्मेलन में यह जानकारी प्राप्त हुई कि सम्पूर्ण भारतवर्ष में मेंढकों की चीर फाड़ स्कूली शिक्षा में बंद कर दी गई है।
द्वितीय राष्ट्रीय चिकित्सक सम्मेलन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी, राजस्थान-
22-23 नवम्बर 2003 में इस सम्मेलन का आयोजन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी में किया गया। जिसमें देश भर से लगभग 700 चिकित्सकों ने भाग लिया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ जे पी सेठी, पूर्व प्रिंसिपल R N T C कॉलेज, उदयपुर (राजस्थान) थे।

 

तृतीय राष्ट्रीय सम्मेलन नई दिल्ली-

24-25 अप्रैल 2005 में सम्मेलन का आयोजन भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित इंडिया हैबिटेट सेंटर में किया गया। इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि केंद्रीय श्रम मंत्री श्री सत्यनारायण जटिया थे। इस आयोजन में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी का सानिध्य प्राप्त हुआ। इस सम्मेलन की एक विशेषता यह रही कि इसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति श्री B N श्रीकृष्णा ने की। इस सम्मेलन में पूरे देश के 800 चिकित्सकों ने भाग लिया और ये सारे चिकित्सक चिकित्सा विज्ञान की विभिन्न विधाओं से सम्बद्ध थे तथा अपने अपने क्षेत्र में उच्चस्तरीय विशेषज्ञता से विभूषित थे। आचार्य श्री ने पानी छानकर पीने के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इस सम्मेलन की एक उल्लेखनीय विशेषता यह थी कि परिचर्चा का केंद्र बिंदु था, ‘भोजनचर्या में शाकाहारी तत्वों की खोज’। इस विषय वस्तु को केंद्रित करते हुए लगभग 18 वैज्ञानिकों द्वारा शोध प्रस्तुत किए गए। प्रस्तुतकर्ताओं में देश तथा विदेश के ख्याति प्राप्त चिकित्सा विशेषज्ञ ने योगदान दिया। इसमें से कुछ विद्वान निम्नानुसार है मैक्स हॉस्पिटल के उपाध्यक्ष डॉक्टर P K चौबे, दिल्ली के प्रमुख ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर S C मनचंदा, अपोलो हॉस्पिटल के प्रमुख एंडोक्रिनोलोजिस्ट डॉ S K वांगनू, प्रसिद्ध नेत्र सर्जन अभिनंदन कुमार जैन इंदिरा गांधी हॉस्पिटल नई दिल्ली, डॉ शिखा वर्मा (निदेशक न्युटी हेल्थ सिस्टम इंडिया), डॉ D C जैन, प्रमुख न्यूरोफिजीशियन सफदरगंज हॉस्पिटल नई दिल्ली।
सभी डॉक्टरों का विज्ञान सम्मत मत था कि शाकाहारी व्यक्तियों के शरीर में अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में फाइबर और अनसेचुरेटेड फैट्स का उपभोग होता है और परिणाम स्वरुप शाकाहारी व्यक्तियों को डायबिटीज, हाइपरटेंशन, हृदय रोग से ग्रसित होने की संभावना कम होती है। परिणामस्वरुप इन विकारों की चिकित्सा हेतु चिकित्सकों के पास कम भागना पड़ता है और विभिन्न दवाओं का सेवन भी मांसाहारी व्यक्तियों के अपेक्षा कम करना पड़ता है।

इसी प्रकार अखिल भारतवर्षीय सम्मेलन 2010 में बेंगलुरु में तथा वर्ष 2012 में सूरत में आयोजित किये गये जो पूरी तरह सफलतापूर्वक संपन्न हुए।

अब तक आचार्य श्री के मार्गदर्शन में लगभग 50 जिला स्तरीय चिकित्सक सम्मेलन हो चुके हैं। प्रथम जिला स्तरीय सम्मेलन 1992 में रांची में हुआ।

 

सम्मेलनों की उपयोगिता –
जिला स्तरीय एवं राष्ट्रीय सम्मेलन की निम्नलिखित उपयोगिता रही है-

  •  अच्छे संस्कार वाले चिकित्सकों के आत्मविश्वास में वृद्धि
  •  शाकाहार के विषय में वैज्ञानिक जानकारियां
  •  अहिंसक जैन संस्कृति के प्रति प्रेम एवं श्रद्धा का जन्म
  •  सामाजिक संगठन की भावना की उत्पत्ति
  •  आचार्य श्री के दर्शन से दिगंबर जैन साधु की जानकारी
  •  धार्मिक कार्यकलापों के प्रति रुचि जैसे अभिषेक पूजन आहार दान आदि
  •  उत्कृष्ट कोटि के चिकित्सकों के बारे में जानकारी एवं उनके द्वारा किए कार्यों का ज्ञान
  •  जैन डॉक्टर्स के पुत्र-पुत्रियों के विवाह संबंधी जानकारियां
  •  चिकित्सकों को जैन तीर्थ स्थलों के दर्शन का लाभ
  •  देशाटन एवं विभिन्न प्रांतों की संस्कृति का परिचय

उपयोगिता –

राष्ट्रीय सम्मेलनों की अत्यंत उपयोगिता है। इन सम्मेलनों के माध्यम से राष्ट्रीय भावना का जन्म होता है। एक दूसरे के विचारों का विनिमय होता है। अनेक स्थानों की जानकारी प्राप्त होती है। अनेक चिकित्सकों ने बतलाया कि उन्होंने कभी उन क्षेत्रों का नाम भी नहीं सुना था। सम्मेलनों के द्वारा उन्हें ज्ञात हुआ कि अतिशय क्षेत्र तिजारा, महावीरजी इस भारत भूमि पर स्थित हैं।

प्रभाव-

राष्ट्रीय सम्मेलनों का गहरा प्रभाव समस्त चिकित्सक समाज एवं संपूर्ण राष्ट्र पर पड़ा है। आज पूरे भारत में शाकाहार का प्रचार प्रसार हुआ। अनेक लोगों ने चिकित्सकों की प्रेरणा से मांसाहार का त्याग कर दिया है। अनेक नशीली वस्तुओं का त्याग कर अनेक युवा नशा मुक्त हो गए हैं।

धर्म का प्रभाव आज के चिकित्सक समुदाय पर देखने को मिलता है। अनेक चिकित्सक अब प्रतिदिन जिनेंद्र प्रभु का दर्शन करने लगे हैं। बहुत से चिकित्सकों ने रात्रि भोजन का त्याग कर दिया है। मांस, मधु, मदिरा का सेवन एवं अन्य सप्तव्यसनों का आजीवन त्याग कर देना इन सम्मेलनों का प्रभाव ही है।
सभी आयोजनों में आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी के निर्देशन एवं आशीर्वाद रहा है। इस प्रकार आचार्य श्री जैन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ साथ हम सभी सामान्य श्रावकों को देश का सदनागरिक बनाने की समीचीन भूमिका का निर्वाह भी कर रहे हैं और ना केवल वर्तमान और भविष्य को ध्यान में रखकर हमें वांछित, आदेश, निर्देश, प्रेरणा एवं आशीर्वाद प्रदान कर हमें कल्याण मार्ग पर प्रशस्त कर रहे हैं।

– डॉक्टर अभिनंदन कुमार जैन सूरजमल विहार दिल्ली
– डॉक्टर D C जैन
– ग्रीन पार्क एक्सटेंशन, नई दिल्ली