अखिल भारतीय जैन एडवोकेट सम्मेलन 2019
दिनांक 9/11/ 2019 श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र देहरा तिजारा की पावन धरा पर प्रशांत मूर्ति आचार्य श्री 108 शांतिसागर महाराज की समाधि हीरक महोत्सव वर्ष 2019 -20 के उपलक्ष में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित अखिल भारतीय जैन एडवोकेट सम्मेलन 2019 का शुभारंभ अनीता दीदी के मंगलाचरण से हुआ मंच संचालन श्री सुरेंद्र मोहन जी (एडवोकेट )मालपुरा ने किया चित्र अनावरण एवं दीप प्रज्वलन श्री अभय जी गोहिल जस्टिस, श्री कमल जी एडवोकेट, श्री सुशील जी एडवोकेट दिल्ली, श्री अजयवीर जी एडवोकेट, श्री एमके जैन जस्टिस, श्रीसुशील जी एडवोकेट,श्री जे के जैन, श्री आदिनाथ जी बेंगलुरु,श्री खिलिमल जी अलवर, श्री पवन जी अध्यक्ष देहरा तिजारा,श्री अंकुश जी मंत्री देहरा, श्रीमती लता प्रसाद, श्री ए ए मगदुम आदि ने किया।
श्री पवन जी जैन एडवोकेट ने अपने विचारों द्वारा सभी के प्रति स्वागत भाषण प्रस्तुत किया श्री अजयवीर जी एडवोकेट ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज उजला संस्था 8-10 वर्ष का बच्चा हो गया है,इस संस्था को आचार्य श्री जैसे संतों का भरपूर आशीर्वाद है। जबसे पूज्य श्री का आशीर्वाद मिला तभी से यह संस्था और अधिक पुष्पित- पल्लवितहो गई है। इस कार्यक्रम में आने वाले सभी न्यायाधीशों वकीलों का मैं स्वागत करता हूं।
श्री अभय जी गोहिल जस्टिस जी के निर्देशन में संस्था को आगे बढ़ने का अवसर अवसर प्राप्त हो रहा है।श्री सुरेंद्र मोहन जी मालपुरा एडवोकेट जो इस सम्मेलन की आयोजना में पूरा समय देते हैं शुरू से लेकर अंत तक पूरा सहयोग इन्हीं का रहता है।अपने शब्दों में कहूं तो सबसे अधिक उम्र के होने के बावजूद भी कार्य करने के हिसाब से यह सबसे कम उम्र के वकील है किन्ही कारणों से जो नहीं आ पाए उनके प्रति भी सद्भावनाये हैं। ” असफलता की चुनौतियां ” श्री वीरेन जी गोहिल द्वारा लिखित पुस्तक एवं ऑल इंडिया एडवोकेट की डायरेक्ट्री का विमोचन मंचासीन जस्टिस एवम् वकीलों ने किया।
श्री सुरेंद्र मोहन जी एडवोकेट ने इस कार्यक्रम का उद्देश्य एवं गतिविधियां बताइ। उजला संस्था का उद्देश्य जैन -जैन को पहचाने जो भी जैन समाज के उलझे हुए केस है उन्हें सुलझाने का प्रयास उजला का रहता है। श्री एन के जैन रिटायर जस्टिस ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मेहनत और इमानदारी यह दो गुण वकीलों के अंदर अवश्य होने चाहिए। एन के जैन जस्टिस चेयरमैन एनसीएमईआई ऑफ इंडिया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि जब अदालत जाए तो पूरी तैयारी के साथ जाना चाहिए आज हर क्षेत्र में विकृति आ गई है न्याय के मंदिर में अगर न्याय नहीं मिलेगा तो न्याय के मंदिर में कौन जाएगा बेगुनाह को सजा नहीं होनी चाहिए जागरूक एडवोकेट होना चाहिए।
श्री जे के जैन जस्टिस ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि न्यायाधीश एवं अधिवक्ता जब दोनों मिलते हैं तो दोनों पक्ष को लाभ मिलता है परिश्रम करने वाले को परिश्रम का लाभ अवश्य मिलता है समय से मुकदमे की तैयारी जब नहीं होती तो केस वाले व्यक्ति को परेशानी होती है पक्षकार को संतुष्टि हो इस हेतु भी ध्यान रखना चाहिए। श्री वीरेन जी गोहिल ने कहा कि जैन धर्म जन-जन तक पहुंचे इस हेतु सभी का प्रयास हो अनेकांत दुनिया के दुख दर्दो की दवाई है अहिंसा का मूल सिद्धांत जियो और जीने दो का है जैन दर्शन तो बहुत पहले से कहता है कि वनस्पतियों में वृक्षों में जीव है वृक्ष के पास अगर चाकू आदि ले जाओ तो उनके अंदर अलग प्रतिक्रिया होती है “असफलता की चुनौतियां” पुस्तक पढ़कर सभी के अंदर सकारात्मक सोच जागेगी आइंस्टीन जैसे वैज्ञानिक के घर में भगवान महावीर स्वामी का चित्र था महावीर की अहिंसा जन-जन तक पहुंचे सभी का यही प्रयास होना चाहिए पश्चात मंचासीन समस्त न्यायधीश व वकीलों का क्षेत्र कमेटी की ओर से सम्मान किया गया।
रोहित जैन इंदौर ने साइबर क्राइम के बारे में लोगों को जागरूक किया उन्होंने बताया कि आज साइबर क्राइम किस तरह बढ़ता जा रहा है वह एमपी हरियाणा आदि काफी स्टेट्स में साइबर क्राइम की जानकारी देने के लिए आईएएस आईपीएस और बैंकर्स एवं विदेशो में भी क्लासेज दे रहे है कॉन्फ्रेंस कर रहे है इसमें सावधानी ही सबसे बड़ा बचाव है । श्री अभय जी गोहिल जस्टिस ने कहा कि यह जो पौधा लगाया है यह वट वृक्ष का रूप ले रहा है। आप सभी जहां जहां रहते हैं, सभी स्थानों के मंदिरों का रजिस्ट्रेशन कराइए। मूर्तियों का फोटो खींचकर रिकॉर्ड रखें आज कई ऐसे प्रसंग है जिनको सुनकर मन दुखी हो जाता है घर को आग लग रही है घर के चिराग से क्षेत्र संबंधी अभिषेक संबंधी प्रसंगों में आप सभी क्या चाहते हैं कि कोर्ट इस विषय में निर्णय दे ।क्या होता जा रहा है समाज को बहुत गंभीर विषय है।
तदंतर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने कहा कि ऐसे ऐसे जस्टिस हुए हैं, जब वह रास्ते पर जाते थे तो लोग अपने घ डिया देखते थे। रानाडे साहब के जीवन का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि ज ब वह कुर्सी पर बैठते थे,तो आंख बंद करके कुछ पढ़ते थे जब पूछा गया कि आप क्या पढ़ते हैं यद्यपि वह जैन नहीं थे फिर भी वह णमोकार मंत्र पढ़कर यह सोचते थे कि मेरे द्वारा सही न्याय दिया जाए न्याय की कुर्सी पर बैठकर कभी भी अन्याय नहीं करना।प्रामाणिकता कि एक छाप होती है।इमानदारी के द्वारा ही व्यक्ति जीवन का विकास कर सकता है, आप सभी ने अभी अनेक न्यायाधीशों के विचार सुने जिन्होंने जीवन विकास हेतु इमानदारी एवम् परिश्रम को मुख्यता दी।उजला संस्था आज विशाल वृक्ष के रूप में पुष्पित एवम् पल्लवित है। जिसने इन सभी का सहयोग है जीवन में कैसा भी समय आए, कभी भी उदास निराश नहीं होना, कैसी भी विसंगतियां आए धेर्य,साहस के द्वारा सफलता प्राप्त करना । आप सभी से यही अपेक्षा है कि आप जिस समाज में रह रहे हैं उनके प्रति भी आपके कुछ कर्तव्य हैं इसी के साथ आचार्य शांतिसागर जी के जीवनी की विशेषताएं भी बताई।अंत में क्षेत्र कमेटी के अंकुश जैन द्वारा श्री एस एम जैन मालपुरा का सम्मान किया व बताया कि इस उम्र में भी इनकी कार्य करने कि क्षमता और ऊर्जा देखने योग्य है भगवान इन्हे इसी तरह सामाजिक कार्य करने की और अधिक शक्ति प्रदान करे जो आज ये अपने पिता की पुण्य तिथि होते हुए भी इस समाजिक कार्य को पूर्ण करने मै यहां लगे हुए है ।
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