आदर्श विद्या मंदिर में सार्वजनिक प्रवचन
दिनांक 30-08- 2019 को श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र तिजारा में आदर्श विद्या मंदिर के परिसर में सार्वजनिक प्रवचन का शुभारंभ चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन और पाद प्रक्षालन से हुआ।
पंडित श्री सोहन लाल जी शर्मा ने कहा कि हम सभी बहुत सौभाग्यशाली हैं जो हमारे बीच ज्ञान की गंगा बह रही है। पहले जब चातुर्मास हुआ था तब से अब तक मेरी लगन गुरुवर के प्रति है। इस अवसर पर श्री मनीष सिंह गुर्जर वाइस चेयरमैन नगर पालिका भी उपस्थित थे।
ब्र. अनीता दीदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आप चाहे तो अपने जीवन को राम, कृष्ण, महावीर जैसा बना सकते हैं और चाहे तो रावण, कंस, मारीच जैसा भी, अच्छे कार्य करके जीवन को खूबसूरत बना सकते हैं। इसी के साथ आचार्य श्री के व्यक्तित्व कृतित्व की चर्चा कर अखिल भारतीय स्तर से होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी।
आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पियूष वाणी द्वारा कहा कि भारतीय संस्कृति अनेकता में एकता की संस्कृति है। वसुधैव कुटुंबकम की संस्कृति रही है। यह भारत देश है जहां सभी लोग अहिंसा की जयकार एक स्वर से लगाते हैं। सभी धर्म यही कहते हैं ऐसा व्यवहार दूसरों के साथ मत करो जो तुम्हें स्वयं पसंद ना हो। सभी को अपने प्राण प्यारे हैं अतः किसी भी जीव को अपने कारण कष्ट पहुंचे ऐसा ना करें। अतः मैं कहता हूं
मत सता जालिम किसी को, मत किसी की हाय लो
औरों को अगर तू सताएगा तो खुद सताया जाएगा
सभी सुख शांति चाहते हैं, वह सुख शांति कहीं बाहर नहीं, अपने अंदर है। सकारात्मक सोच संतोषी जीवन जीने वाली सुखी रहते हैं, नकारात्मक सोच एवं लोभी लालची असंतोष रखती वाले व्यक्ति दुखी रहते हैं। अपनी आकांक्षों को सीमित करें तो व्यक्ति अवश्य ही सुखी जीवन जी सकता है। जो पास है उसका आनंद ना लेकर जो नहीं है उसको पाने की तमन्ना में दुखी रहता है। आइए आज से आप सभी अपनी सोच को परिवर्तित करें संतोष रूपी धन का संचय करो अपनी आकांक्षाओं को सीमित करो तभी आप जीवन में सुख शांति का अनुभव कर सकते हैं।
आचार्य श्री ने सभी को प्रेरित किया संडे हो या मंडे कभी ना खाना अंडे। अंडा भी एक मां का लाल है, प्रकृति ने हमें शाकाहारी बना करके भेजा है मांसाहारी नहीं प्रकृति ने हमें अनेक प्रकार के अनाज फल सब्जी दिए हैं फिर क्यों मांसाहार करके अपने पेट को कब्रिस्तान बनाते हो। इन पशु पक्षियों में वही आत्मा है जो हमारे अंदर है और प्रकृति प्रदत्त भोजन करो प्रकृति से हटकर भोजन मत करो अन्यथा बहुत प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो जाओगे।
तिजारा में सन 1998 में चातुर्मास हुआ था तब भी आप सभी के अंदर उत्साह था और आज भी सभी के अंदर है आगे भी आप सभी इसी तरह का उत्साह बनाए रखना। सभी अपने अपने इष्ट देवता को सोने से पहले याद करें। प्रातः काल उठते ही प्रभु का स्मरण करें। नशीले पदार्थों से दूर रहें अपने बच्चों में अच्छे संस्कार दें, मोबाइल का दुरुपयोग ना करें। वृद्धों को आश्रय दे ना कि वृद्धों को वृद्धाश्रम भेजें। खानपान की शुद्धि पर ध्यान दें, बड़े बूढ़ों को सम्मान दें तभी आप सभी अपने अपने घरों को स्वर्ग बना सकते हैं। जैन युवा मंडल का उत्साह प्रशंसनीय है, आगे भी इसी तरह युवा शक्ति जागरूक रहे। जैन युवा मंडल ने पानी छानने के लिए सभी के हाथों में थैली प्रदान की। अंत में सभी को फल वितरित किए गए।
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