आचार्य उमास्वामी
आज से लगभग 1800वर्ष पूर्व ईसा की दूसरी शताब्दी में आचार्य उमास्वामी हुए। उन्होंने 18 वर्ष की अवस्था में मुनिदीक्षा ली और 25 वर्ष बाद आचार्य पद धारण किया। वे 40 वर्ष 8 दिन तक आचार्य पद पर रहे और उनकी आयु 84 वर्ष की थी। आचार्य उमास्वामी की मान्यता दिगम्बर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों में हैं।
आचार्य उमास्वामी आचार्य कुन्दकुन्द के शिष्य थे। उनके सुप्रसिद्ध सूत्र ग्रन्थ का नाम तत्वार्थ सूत्र है और वह सूत्र ग्रन्थ भगवान महावीर की द्वादशांग वाणी की ही तरह यह जैन दर्शन का आधार स्तम्भ बन गया है। यह जैन ग्रंथों की गीता है|