पिच्छिका परिवर्तन समारोह
दिनांक 15/11/19 श्री चन्द्रप्रभु अतिशय क्षेत्र तिजारा की पावन धरा पर अनेक कार्यक्रमों के मध्य सन 2019 का आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज ससंघ का 32वां पावन वर्षा योग सानंद सम्पन्न हुआ।
मंगलाचरण के साथ पिच्छिका परिवर्तन का शुभारम्भ हुआ। चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन श्री योगेश जी खतौली, श्री अनिल जी राजोरी गार्डन, राकेश जी मुच्छड़, वकील चंद जी व क्षेत्र कमेटी ने किया। मंच संचालन पं.नितिन जी व कमलेश बसंत ने किया।
पाद प्रक्षालन लक्ष्मीकांत जी व शास्त्र भेंट सुभाष चंद जैन व वकील चंद जैन, संजय जैन रोलिया परिवार ने किया। आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज और ज्ञेय सागर जी महाराज के चरणों में अर्घ समर्पण प्रदीप जी जैन सरधना ने किया।
श्री पवन जी अध्यक्ष देहरा ने स्वागत भाषण में कहा कि तिजारा वर्षा योग हेतु हम 3 वर्षों से प्रयासरत थे, हम सभी का इस बार सौभाग्य जागा और समाधि हीरक महोत्सव वर्ष पर आचार्य श्री का ऐतिहासिक वर्षा योग सानंद अनेकानेक कार्यक्रमों के साथ हुआ, आप सभी यहां आये धन्यवाद देता हूं। इस वर्षा योग में किसी भी प्रकार की व्यवस्थाओं में कमी रही हो तो हम उन्हें आगे सुधार करेंगे।तदनन्तर आकाश मार्ग से आचार्य श्री की पिच्छी आयी।
अनिता दीदी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य श्री के चरण कमल जहाँ भी पड़ जाते है वहां की धरा पवित्र हो जाती है। जहां भी गए सभी यही कहते हुए नजर आए थे कि पूज्य श्री एक निराले संत है, श्रवण बेलगोला में जब मंगल पदार्पण हुआ तब स्वस्ति श्री चारुकीर्ति भट्टारक जी ने कहा कि पूज्य श्री के व्यक्तित्व कृतित्व की चर्चा विद्वानों से सुनी थी एवम पत्रिकाओं में पढ़कर जाना था।जैसा सुना एवं पढ़ा उससे कहीं अद्भुत व्यक्तित्व पाया है। तिजारा का यह दूसरा वर्षा योग महती धर्म प्रभावना के साथ संपन्न हुआ। बच्चों व बड़ों के अंदर जो धर्म के प्रति उत्साह इन चार महीनों में दिखा वो तारीफ के काबिल है।
तदनन्तर आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि दिगम्बर साधु के हाथ में जीवो के संरक्षण हेतु मोरपंख से बनी पिच्छिका होती है, उस पिच्छिका के पंख बहुत मुलायम व कोमल होते है। वह रज और पसीना ग्रहण नही करती है। सभी को वह पिच्छिका मुलायम बनने की प्रेरणा देती है। दूसरे हाथ में कमंडल जो शौच के उपकरण है, जो संसारी जीवों को शिक्षा देता है, जल बचाओ। साथ ही वह कहता है कि जिस प्रकार मेरे अंदर पानी डालने का द्वार बड़ा है खर्च करने का द्वार छोटा है जितना आवश्यक है उतना ही प्रयोग में लायें। दिगम्बर साधु वर्षा योग के समय जीवो के संरक्षण हेतु एक स्थान पर वर्षा योग करते हैं। इस वर्षा योग में अनेकानेक कार्यक्रम हुए। सभी बाल व वृद्धों ने बड़े उत्साह के साथ सहयोग किया। पिच्छिका परिवर्तन के दिन आप सभी कुछ न कुछ नियम लेकर जाएं, इस मध्य किसी को मेरे द्वारा कोई भी पीड़ा पहुची हो तो ध्यान मत देना। कार्यकर्ताओ से कुछ कह दिया हो तो बस इस दृष्टि से जो भी कार्यक्रम हो रहा है वह और भी भव्यता के साथ हो। इसी के बीच मंगल कलश लेने वाले परिवारों को सम्मानित किया गया। आचार्य श्री के करकमलों से जब उन परिवारों ने मंगल कलश प्राप्त किये तब उनके और बैठे हुए जन समूह के रोम रोम रोमांचित हो उठे। विमोचन के बाद नई पिच्छी का नियम लेने वाले श्रद्धालुओं ने संगीत की स्वर लहरी के साथ आचार्य श्री को पिच्छी भेंट की।इसी तरह से मुनि श्री ज्ञेय सागर जी महाराज, आर्यिका कुमुद मति माताजी, क्षुल्लिका कुशलवाणी जी, क्षुल्लिका श्री ज्ञानमोती माताजी, क्षुल्लक श्री विषोम सागर जी महाराज जी की नई पिच्छी आचार्य श्री ने अपने हाथों से दी। आचार्य श्री की पुरानी पिच्छी श्री पवन कुमार जैन बसेड़ा व मुनि श्री ज्ञेय सागर जी महाराज की पिच्छी श्री शांतिप्रशाद जी तिजारा को दी। आर्यिका माताजी की पिच्छी श्रीमती कमलेश जैन दिल्ली, क्षुल्लिका कुशलवाणी माताजी की पिच्छी श्री संजय जैन तिजारा, क्षुल्लिका श्री ज्ञानमोती माताजी की पिच्छी श्रीमती अनिता जैन श्रेयांश जैन पुजारी तिजारा, क्षुल्लक श्री विषोंम सागर महाराज की पिच्छी मीनाक्षी जैन दिल्ली को प्राप्त हुई। पिच्छिका पटिवर्तन के इस कार्यक्रम में मुज्जफरनगर, आगरा, मुरैना, सूर्यनगर, गाजियाबाद, दिल्ली, मेरठ, अलवर, पहाड़ी, कामा, बबीना, ललितपुर, बुलंदशहर आदि अनेक स्थानो के श्रद्धालुओं ने आकर बड़े ही आननद के साथ इस दृश्य को देखा।
क्षेत्र कमेटी के सचिव अंकुश जैन ने बताया कि अंत मे सभी ने झूम झूम कर बड़े ही भक्ति भाव से 108 दीपकों से आचार्य श्री की आरती की।
इस पल तिजारा कमेटी से पवन कुमार जैन, संजय जैन, संजय बजाज, अंकुश जैन रोकी, प्रेमसागर, विजय जैन टोनी, आशीष जैन, मनीष जैन, नरेंद्र जैन आदि मौजूद थे।
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