पापों से छुटकारा कैसे पायें
श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर, ललितपुर में धर्मसभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री 108 ज्ञानसागर जी महाराज* ने अपनी पीयूष वाणी द्वारा कहा कि आप अनेक मंत्रो की आराधना करते है पर मंत्रो की महिमा से आप उतना परिचित नहीं है। जिस णमोकार मंत्र का जाप करते है वह मंत्र भावपूर्वक अगर आप पढ़ते है तो वह मन्त्र आपके मनोबल को मजबूत करता है। मंत्रो से आपके अंदर शक्ति का जागरण होता है। मन की विकारी भावो से रक्षा करने में मंत्र सहायक बनते है। मंत्र को जितना अधिक आप एकाग्रता से जपते है उतना अधिक आप पापो का प्रक्षालन कर सकते हैं।
पापों से छुटकारा पाने के लिए जाप बहुत जरूरी है। जाप नही पाप गिनो। मैने कितने पाप किये इस और ध्यान दीजिए। पापो के द्वारा जहा आत्मा मलिन होती है वही व्यावहारिक जीवन भी धूमिल होता है।
जैन दर्शन में णमोकार मंत्र सर्वोपरि है। इस मंत्र की महिमा बताते हुए आचार्य जी ने कहा कि जो जितनी अधिक श्रद्धा आस्था के साथ जाप करते है वो उतना ही अधिक पापों का प्रक्षालन करते है। *यह वह मंत्र है जिसके स्मरण मात्र से आने वाली विपदाएं सम्पदा का रूप ले लेती है।
84 लाख मंत्रों का जनक यह णमोकार मन्त्र है।* इस मंत्र को आप उठते बैठते, चलते-फिरते हुए भी पढ़ सकते हैं। इस मंत्र की मालाएं तो आप करते हैं, पर उतनी श्रद्धा आस्था के साथ नहीं करते, जितनी श्रद्धा आस्था के साथ करना चाहिए। तंत्र यंत्र षड्यंत्र और मन्त्र शब्दों की व्याख्या के साथ आचार्य श्री ने कहा कि यह णमोकार मन्त्र सभी मंगलों में पहला मंगल है, सभी पापों का नाशक मन्त्र है। इस मंत्र की जाप करने से आत्म जागरण की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है।
प्रत्येक गृहस्थ व्यक्तियों को कम से कम एक णमोकार मन्त्र की माला अवश्य करना चाहिए। सोने से पहले, उठने के बाद प्रतिदिन सभी को कम से कम 9 बार णमोकार मन्त्र पढ़ना चाहिए, ताकि आप रात और दिन अच्छी तरह व्यतीत कर सकें। अतः ऐसे मन्त्र को आप अवश्य पढ़ें ताकि भव भव के संचित कर्म क्षय को प्राप्त हो सकें।